ऐ भाई जरा देख के चलो...

    27-Apr-2020   
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जरा सोचिये आप अपनी गाडी से घूमने निकले हैं और किसी चौराहे पर कोई Handsome सा लडका आपको बडे प्यार से रोकता है और कहता है कि अपना हैलमेट लगा लीजिये! अब आपको लग रहा होगा मै किसी फिल्म के सीन की बात कर रही हूं, पर ये कोई साउथ इंडियन मूवी नही बल्कि जबलपुर शहर में हर शनिवार और रविवार को होता है, जी हां सही पढा आपने हर वीकेंड पर जब आप अपने परिवार अपने दोस्तो के साथ घूमने , शॉपिंग करने या मॉल जा रहे होते है तब शहर के किसी चौराहे पर पीले रंग की टी-शर्ट पहने एक 20 साल का good-looking बंदा अपने साथियों के साथ नजर आता है जो आपको रोक कर यातायात के नियमों के बारे मे जानकारी देता है, जागरूक करता है जिससे रोड पर चलने मे सभी को आसानी हो!!


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मैं बात कर रही हूं जबलपुर शहर के 20 वर्षीय "अमन गंगराडे" की, जिसने शहर के बेतरतीब यातायात को सुधारने का बीडा उठाया है।


दोस्तों बदलाव हर कोई चाहता है, सभी बातें करतें है ऐसी कितनी ही बातें है जिसमे हम सब बदलाव चाहते है, कोई किसी व्यवस्था से परेशान है तो कोई कुछ लोगों से, किसी को काम का तरीका पसंद नही आता और किसी को नियम, आज हर इंसान अपने आसपास बहुत सी चीजें बदल देना चाहता है, पर एक बात तो बताइए कि हममें से कितने लोगों ने आज तक कोई सकारात्मक कदम उठाये, कितनों ने ये ठाना कि हम नियमों का पालन करके सजगता प्रदर्शित करेंगे?? उंगलियों पर गिना जा सकता है ये, बाकी तो सब चाय और नमकीन खाते-खाते बुराई करने में ही अपनी शान समझते हैं।

बुरा लगा ना?? पर सिर्फ शिकायतें करने से कुछ नही होता, कदम उठाने की जरूरत होती है, तब जाकर हम सब बदल पाएंगे, ठीक उसी तरह जैसे दूध मे मक्खन होता है पर वो आपको तब तक नही मिलता जब तक आप अपने प्रयत्नों से दही बनाकर उसे मथ कर उसमें से मक्खन निकाल ना लो, ऐसे ही सुधार या बदलाव तब होता है जब आप पूरी लगन से किसी काम को करो और परिणाम मिलने तक करते रहो!!! अब आपको ये लगेगा कि मैं ये ज्ञान आपको क्यों दे रही हूं? तो मै बता दूं कि ये मै नही कह रही, ये बोलना चाहता है "युवा ट्रेफिक फोर्स" का निर्माता अमन!!!!



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मै उसे इस कहानी का हीरो ही कहूंगी, इसलिये नही क्यूंकि वो हीरो की तरह दिखता है, इसलिये क्यूंकि उसकी सोच एक फाइटर की तरह है, इतने मुश्किल काम को इस खूबी से करना ये तो कोई हीरो ही कर सकता है भाई....


चलिये जानते हैं अमन के विचार…

1) इतनी कम उम्र में यातायात जैसे गंभीर विषय पर काम करने का क्यूं खयाल आया???

इस पर अमन कहतें है कि उन्होने अपना बचपन इंदौर शहर में बिताया, और यहां आने के बाद उन्हे इस शहर का यातायात इंदौर के मुकाबले सही नही लगा, लोग नियमों का पालन ही नही करते थे, कई लोगों को पार्किंग और लेफ्ट टर्न के नियम नही पता थे, लोग सजग नही थे और इस वजह से आए दिन एक्सीडेंट का खतरा, ट्रेफिक जाम, अव्यवस्था साथ ही लडाई-झगडे भी होते थे, अमन ने देखा कि बाकी सभी क्षेत्रों मे लगभग ढेर सारी समाजसेवी संस्थाएं काम कर रही है परंतु यातायात के क्षेत्र में कोई जागरूकता यहां नही थी, और अमन का ये कहना है कि अकेला प्रशासन क्या कर सकता है जब जनता ही जागरूक ना हो? सब कहते है शहर में सिग्नल चालू नही थे पर जब शुरू कर दिये गये तो अधिकतर लोग बिना रूके आगे बढ जातें है। ये कितना उचित है??? बस यही सब सोच कर अमन ने ये तय किया कि वो एक ऐसी संस्था को आकार देंगे जो लोगों को जागरूक करने का काम करेगी, यातायात के नियम , सडक पर चलना, सीट-बेल्ट , हैलमेट जैसी बहुत ही साधारण बातें सबको बताएंगे। इंदौर शहर मे ऐसी संस्थायें है जो इस विषय पर काम कर रही हैं,उनसे प्रेरित होकर अमन ने "युवा ट्रेफिक फोर्स" (YTF) का श्रीगणेश किया। जिनके मार्गदर्शन में अमन ने इस संस्था का निर्माण किया वो आज तक कभी उनसे मिला भी नही है, पर अमन कहता है कि "सर" की बातें ही इतनी प्रेरणा देने वाली है कि किसी और की जरूरत ही नही होती उनसे फोनकॉल पर प्रोत्साहन पाकर अमन ने इंदौर की तर्ज पर यहां भी यातायात सुधारने के लिये इस संस्था को आकार दिया।


2)"युवा ट्रेफिक फोर्स" 【YTF】किस तरह काम करती है???

YTF के बारे में बताते हुए अमन कहते हैं कि सबसे पहले अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर ये काम शुरू किया, इसमें सबसे पहले आवश्यकता थी, सहायता और अनुमति की, तो अमन ने यातायात विभाग को अपने इस काम के बारे में जानकारी दी और मदद करने व अनुमति देने की बात कही, इस पर यातायात विभाग के अधिकारियों ने अमन को प्रोत्साहन दिया साथ ही हर तरह से मदद करने का आश्वासन भी दिया, अब अमन और उसके कुछ साथियों ने शहर के चौराहों पर खडे रहकर आनेजाने वालो से बात करके उनको नियमों की जानकारी देना शुरू किया , पहले-पहले तो ये लग रहा था कि कोई बात क्यूं मानेगा?? दूसरी बात बदलाव एकदम तो नही आता, बहुत लगन और मेहनत से काम करना पडता है, तीसरी बात इतनी कम उम्र के युवकों को देखकर लोग सीरियसली सुनेंगे या नही?? और तो और कुछ तो 17-18 वर्ष के ही थे ऐसे बच्चों की पूरी जिम्मेदारी अमन पर थी , चोट लग जाए, एक्सीडेंट हो जाए या कोई अनहोनी तो कौन जवाब देगा??? पर अमन ने हिम्मत नही हारी और भगवान का नाम लेकर अपना काम शुरू किया!! पर इतना अनोखा और जोखिम भरा काम था, अमन कहता है जो सबसे पहले अमन के साथ थे वो आज नही हैं जो आज है वो शायद कल ना रहें पर अमन का ये दृढनिश्चय है कि जो काम उसने शुरू किया है वो उसे करता रहेगा क्यूंकि किसी भी काम को जोश में भरकर शुरू कर देना आसान है पर उसे पूरी मेहनत से लगातार करते रहना बहुत कठिन है। और ये कहना गलत नही होगा कि जिसके इरादे नेक हो भगवान हमेशा उसके साथ होता है,इस तरह युवा ट्रेफिक फोर्स भी पिछले 15 महीनो से लगातार अपना काम कर रही है, आज अमन के ग्रुप में 217 मेंबर्स है जो अलग-अलग स्कूल कॉलेज में पढते है और इस काम को पूरी लगन से करते हैं,जो कि अमन और उसके दोस्तों की मेहनत के कारण संभव हो पाया है। इसके अलावा अमन ने सोशल मीडिया पर और शहर के अलग-अलग स्कूलों और कॉलेजों मे जाकर बच्चों को प्रोत्साहित किया कि वे यातायात के नियमों का पालन करे, उन्हे जानकारी दी कि वे किस तरह अपना और अपने परिवार का ख्याल रख सकतें है और दुर्घटना से बच सकते हैं। आज शहर के 12 मुख्य चौराहों पर अमन और उसके साथी तैनात रहते है जिससे यातायात व्यवस्था सुचारू रुप से चले व दुर्घटनाएं न हो। साथ ही अमन ने कुछ अलग तरीकों से भी लोगों को यातायात के नियमों को समझाने की युक्ती की , एक दोस्त की मदद से उसने एक " रैप सॉंग"बनाया जिसमें नियमों का पालन करने की और सजग रहने की अपील की गई है ऐसे ही कुछ चौराहों पर गाना गाकर आनेजाने वालों को समझाया कि उन्हे किस तरह चलना चाहिये,ऐसे ही अलग-अलग तरीकों से YTF आगे बढ रही है, कभी हैलमेट पहन कर शीर्षासन करना तो कभी किसी फिल्म का गाना गाकर लोगों को समझाना कि नियमों का पालन करें, सबका सिर्फ एक उद्देश कि लोग उनकी बात सुनें और समझे।

3)इतना सब करके हासिल क्या किया??

ये पूछने पर अमन कहते हैं कि बहुत से लोगो ने कहा था कि अरे ये उम्र तो पढने लिखने की है या पहले खुद पर ध्यान दो बाद में समाज सेवा कर लेना, पर ऐसे भी लोग थे जिन्होने अमन और YTF की बहुत सराहना की , सबका हौसला बढाया और इतनी कम उम्र मे इस नेक काम को करने के लिये दुआयें भी दी, एक घटना बताते हुये अमन कहते है कि एक सज्जन आये और पूछा कि आप ये काम क्यूं करते हो?? क्या मिलता है आपको??

उसपर अमन ने उस व्यक्ती से पूछा कि आप नौकरी क्यूं करते हो?? तो वो बोले कि मैं अपने घर अपने परिवार के लिये करता हूं , बस्स अमन को जो कहना था वो यही बात थी, वो तुरंत ही बोल पडा कि ये शहर मेरा घर मेरा परिवार ही है और इसलिये मै इसकी खुशहाली के लिये ये काम करता हूं , सामने वाला इंसान निशब्द था , उनके पास प्रशंसा के लिये शब्द ही नही थे, इतनी छोटी उम्र में ये सोच!!! ये कोई साधारण बात नही...


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4) "युवा ट्रेफिक फोर्स " की उपलब्धियां :

अपनी उपलब्धियों के बारे मे बताते हुए अमन कहते है कि इस संस्था ने मात्र 15 महीनों मे ऐसा कुछ किया जो इस शहर के इतिहास में आज तक नही हुआ...


13जनवरी 2020 को YTF द्वारा एक बाईक रैली "The pride ride" के नाम से आयोजित की गयी जिसमें 200 से अधिक बाईकर्स ने हिस्सा लिया और शहर की जनता को अनुशासन और नियमों मे रहने की जानकारी दी। इस रैली के बाद युवा ट्रेफिक फोर्स की काफी चर्चा हुई व बडे-बडे अधिकारियों जैसे पुलिस अधीक्षक एवं कलेक्टर ने अमन को उसके इस काम के लिये बधाई दी व भविष्य के लिये शुभकामनाएं दी। इसके पश्चात फरवरी 2020 में जन आक्रोश व युवा ट्रेफिक फोर्स ने सडक सुरक्षा व जागरुकता के लिये " सामूहिक महासंकल्प" का आयोजन किया जिसमें 15000 से अधिक लोगों ने मिलकर यातायात के नियमों का पालन करने की व जागरूक रहने की शपथ ली, इस अनोखे कार्यक्रम को "गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड" स्थान प्राप्त हुआ। आज शहर में कोई भी कार्यक्रम हो जैसे कि "नियॉन रन,थैलसेमिया रन,प्लॉग रन,यूथ पार्लियमेंट,अतरंगी फेस्ट ऐसे हर जगह "युवा ट्रेफिक फोर्स" की भागीदारी होती है, एक शब्द में कहा जाए तो आज 【YTF】के बिना शहर का हर युवा महोत्सव अधूरा है।


अपने इन 15 महीनो के कार्य में सबसे सुखद एहसास वो रहा जब अमन को "समाज सेवा में अभूतपूर्व योगदान" के लिये भारत के सर्वोच्च पुरस्कार "पद्मश्री" के लिये नामांकित किया गया, मात्र 20 वर्ष की उम्र में ये उपलब्धी बडे गौरव और सम्मान की बात है। आज अमन अपने इस काम से बेहद खुश है और पूरी लगन से इसे कर रहें है, अमन का ये जज्बा देखकर शहर की अन्य 4 समाजसेवी संस्थाओं ने इस काम को अमन के साथ ही शुरू किया है तथा आज व़ सब मिलकर एकजुट होकर इस नेक काम को अंजाम दे रहें है। इन युवाओं के पास कोई आर्थिक सहायता नही है पर ये सभी जबलपुर शहर को अपना मान कर मेहनत कर रहें है, साथ ही यातायात विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर इन युवाओं को दिया जाने वाला साथ इनका मनोबल बढाता है साथ ही बडों का प्रोत्साहन पाकर ये युवा और भी जोश मे भरकर अपना काम करतें है।

मै अभिनंदन करती हूं इन युवाओं के माता-पिता का , जिन्होने अपने बच्चों को इस पवित्र काम के लिये प्रेरित किया और उनका आधार बने, साथ ही मैं अभिनंदन करती हूं अमन का जिसने इस उम्र मे युवा ट्रेफिक फोर्स बनाने जैसा अत्यंत कठिन काम सफलतापूर्वक किया। अमन जैसे युवा ताकत रखतें है बदलाव की, वो कहते है ना


" कौन कहता है आसमां में सुराख नही हो सकता

एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों"

अमन और "युवा ट्रेफिक फोर्स" को हमारा सलाम.....

- प्रगती गरे दाभोळकर