पिछले कुछ दिनों में कई घटनाएँ हुई जिन्होंने सुर्खियाँ बटोरी, कोरोना के बढते केसेस हो, रितिका फोगाट की आत्महत्या हो, मनसुख हिरेन की संशयास्पद मृत्यु हो या सचिन वाझे की गिरफ्तारी, लेकिन एक घटना है, जो इन सब में अलग थी, और जब इस घटना का सच सामने आया तो वो भी कई प्रश्न उपस्थित करने वाला था, वो घटना थी उत्तरप्रदेश के मंदिर में मुस्लिम लडके आसिफ की मारपीट की | उत्तरप्रदेश के इस मंदिर पर एक बोर्ड लगा था, “इस मंदिर में मुसलमानों का प्रवेश निषेध है” और इस एक बोर्ड ने बहस छेड दी | लेकिन जैसे ही इस घटना का सत्य सामने आया, तब से कई अन्य मंदिरों ने भी आगे आते हुए ऐसे ही बोर्ड्स लगाए, और कहा कि अब समय आ गया है इस नयी पहल का | ट्विटर पर यह #हर_मंदिर_पर_बोर्ड_लगेगा ट्रेंड करने लगा | आईये जानते हैं क्या है पूरा मामला :
पूरी घटना विस्तारपूर्वक जानने के लिये यहाँ क्लिक करें :
कुछ दिन पूर्व उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद से खबर आई कि, मंदिर में पानी पीने जाने के कारण एक मुस्लिम लडके आसिफ की मंदिर के पुजारियों ने मारपीट की | अचानक इंटरनेट पर सेक्युलर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले लोग जाग उठे, जो वैसे तो पालघर में हुई साधुओं की लिंचिंग या रिंकू शर्मा की जघन्य हत्या जैसे मामलों में मुँह में दही जमाए बैठते हैं | इन सभी लोगों ने किस प्रकार हिंदु पुजारी धर्म के नाम पर भेदभाव कर रहे हैं, और उन लडकों को पानी तक नहीं पीने देते, मंदिर में मुसलमानों के घुसने पर रोक लगाते हैं, इस तरह का चित्र उपस्थित करते हुए हिंदु धर्म की प्रतिमा को मलीन करने का प्रयत्न किया | लेकिन सत्य कुछ और था |
गाजियाबाद के इस मंदिर #हर_मंदिर_पर_बोर्ड_लगेगा यह बोर्ड लगाने के पीछे एक कारण था | पुजारियों द्वारा दिये गए बयान के मुताबिक, यह एक मुस्लिम बहुत परिसर है, और आसपास की बस्ती के लडके मंदिर परिसर में आकर गलत हरकतें करते थे | रेकी कर मंदिर का सामान, लोहा लंगड चुराना, मंदिर में आते ही साथ बने शिवलिंग पर गंदी हरकतें करना, मंदिर में आने वाली बहु बेटियों के साथ छेडखानी करना ऐसे काम ये लडके किया करते थे | ये लडके बहाना लेकर आते थे, और गलत काम करते थे | यह सब रोकने के लिये मंदिर प्रशासन ने यह बोर्ड मंदिर पर लगाया | लेकिन इतना सब करने के बाद भी जब वह लडका उस दिन मंदिर में घुसा और उसने छेडखानी का प्रयत्न किया, तब उसको मार कर भगाया गया, जिस बात का बखेडा बन गया |
मंदिर के प्रमुख महंत द्वारा दिये गए एक साक्षात्कार की कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दीजिए :
१. वे कहते हैं, “हम सब जान के खतरे में जीते हैं, ये लोग यहाँ आकर हमें परेशान करते हैं, पहले मंदिर में गेट भी नहीं था, वह इन लोगों की हरकतों के कारण लगवाया गया | हमारी अपनी सुरक्षा के लिये यह बोर्ड लगाया गया है |”
२. यदि उस लडके को पानी ही पीना था, तो मंदिर के बाहर तीन नल हैं, जो सभी चालू अवस्था में हैं | उन सभी को छोड कर यह लडका अंद वाले नल पर ही क्यों गया ?
३. ये आज की बात नहीं है, इससे पहले भी इन्हीं लडकों में से कई यहां आकर गलत काम कर चुके हैं, लडकियों के साथ महिलाओं के साथ छेडखानी कर चुके हैं |
४. महंत यह भी कहते हैं, “मेरे जीते जी कोई मुसलमान इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता |”
इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए, महंतो द्वारा लगाया गया यह बोर्ड दुनिया की नजरों में खटक क्यों रहा है ?
आप को अलाउद्दीन खिलजी याद है ? उसने कितने मंदिर तोडे, और हिंदु देवी देवताओं की मूर्तियाँ नष्ट की ? आपको मुगलिया सल्तनत के बादशाह याद हैं ? जो बहु बेटियों को उठा कर ले जाते थे, और उनके साथ गलत हरकत करते थे ? आपको तालिबान याद है ? जिन्होंने हिंदु धर्म की हर निशानी को तहस नहस और नष्ट करने में कोई कसर ना छोडी ? यदि उत्तरप्रदेश को, वहाँ स्थित एक धर्म विशेष को भी इसी सूची में जोडने से रोकना है, तो हिंदु धर्म को अपनी रक्षा के लिये कुछ कठोर कदम उठाने पडेंगे, और यह उन्हीं में से एक था |
यह पूरी घटना इंटरनेट पर खूब व्हायरल हुई | महंतों के साक्षात्कार के व्हिडियोज भी भरपूर व्हायरल हुए और #हर_मंदिर_पर_बोर्ड_लगेगा हॅशटॅग ट्रेंड करने लगा | उत्तरप्रदेश के इस मंदिर के सपोर्ट में इंटरनेट पर हजारों लोग पोस्ट्स डालने लगे | और सेक्युलर भारत का एक अलग चेहरा सामने आया, जो हर धर्म की रक्षा करता है | कोई धर्म किसी दूसरे धर्म से श्रेष्ठ नहीं है यही सेक्युलर भारत का कहना है ना ? तो यदि एक धर्म अपनी रक्षा के लिये कोई कदम उठा रहा हो तो इसमें गलत क्या है ?
ऐसी एक नहीं कई घटनाएँ होंगी, आवश्यकता है मानसिकता विचार बदल कर निर्णय लेने की |
- निहारिका पोल सर्वटे