क्या है मंदिर में 'आसिफ' के साथ मारपीट का सच ?

    17-Mar-2021   
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हमारे देश में जब भी किसी घटना में धर्म विशेष आ जाता है, अपने आप उस घटना की सनसनीखेज न्यूज बन जाती है | हाल ही में उत्तरप्रदेश के एक मंदिर में मुस्लिम लडके के साथ मारपीट की घटना हुई और फिर एक बार सारा मीडिया, सोशल मीडिया और बुद्धिजीवी लोग हिंदु मुस्लिम बयान देने लगे | लेकिन इस घटना का सच क्या है ? मंदिर के पुजारी का क्या कहना है ? आखिरकार हुआ क्या था, यह जानने की कोशिश किसी ने न की | जब मंदिर के पुजारी का बयान सामने आया, और घटना का सच पता चला, तब समझ आया कि आज भी हमारे यहाँ किसी भी घटना को कैसे एक पहलू को सामने रखते हुए ही प्रदर्शित किया जाता है |


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तो घटना है ८ मार्च की | सभी वेबसाइट्स पर खबर आई कि मंदिर में पानी पिने गए एक मुस्लिम बच्चे को जमकर मारा पीटा गया | घटना को इस तरह से प्रदर्शित किया गया कि, क्यों कि बच्चा मुस्लिम था और वह मंदिर का पानी पीने गया इसलिये उसे बुरी तरह मारा गया | पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया और पूरे मीडिया पर हिंदू पुजारियों को व्हिलन साबित कर दिया गया |

घटना के कुछ दिन बाद इस घटना का फॉलोअप लेने के लिये जब कुछ मीडियाकर्मियों ने मंदिर के पुजारी से बात की तब घटना का एक अलग ही पहलू सामने आया | आसिफ नामक यह १२ साल का लडका मंदिर में लडकियों के साथ छेडखानी करता था, मंदिर के आस पास भी कई नल लगे हुए हैं, यहाँ तक कि मंदिर के दरवाजे के पास ही नल लगा हुआ है, और सारे नल चालू अवस्था में भी हैं, लेकिन वह लडका मंदिर के अंदर स्थित नल पर ही पानी पीने गया | इससे पहले भी पास की बस्ती वाले कई लडके जिनमें से अधिकतर मुस्लिम हैं, मंदिर के पास आकर गलत हरकतें करते थे, मंदिर का सामान चुराते थे, मंदिर के बाहर बने शिवलिंग पर गलत हरकतें करते थे, और मंदिर में आने वाली महिलाओं और बच्चियों के साथ छेडखानी करते थे, इससे पहले भी उन्हें कई बार रोका गया है | लेकिन जब फिर एक बार उसी प्रकार की घटना हुई, तो मंदिर की रक्षा और मंदिर में आने वाली महिलाओं की रक्षा करने के लिये पुजारियों ने यह कदम उठाया |


इस पूरी घटना को तोड मरोड कर और धार्मिक एंगल देते हुए सोशल मीडिया और सामान्य मीडिया पर प्रस्तुत किया गया | बिल्कुल उस तरह जैसे हाल ही में झोमॅटो के डिलिव्हरी बॉय पर लगे आरोपों की घटना को पेश किया गया था | हर बात के दो पहलू होते हैं, जब तक आपको हर पहलू ना पता हो, आपको अपना मत प्रदर्शित नहीं करना चाहिये, यह एक सामान्य नियम है, लेकिन शायद हमारे यहाँ आदत हो गई है, कि मॉब लिंचिंग हो या कोई और घटना अगर पीडित व्यक्ति मुस्लिम है, तो उसे धार्मिक एंगल ही दिया जाएगा | जो कि बहुत गलत है |

आसिफ की पिटाई उसकी हरकतों के कारण हुई है, ना कि उसके मुसलमान होने के कारण | और यही इस घटना का पूर्ण सच है, जो मदिंर के पुजारियों के बयानों और मंदिर के आसपास की जनता से प्राप्त बयानों से पता चला है |

अगली बार किसी के साथ भी ऐसा हो, तो तुरंत परिणाम पर आने से पहले पूरी घटना को जान लें और तभी अपना मत बनाएँ, यही हमारी आपसे विनती रहेगी |

- निहारिका पोल सर्वटे