विद्यार्थियों के विकास में “Scientific Thinking” क्यों है आवश्यक ?

    07-Jul-2021
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 क्या आप जानते हैं एक बच्चे के मस्तिष्क का विकास सर्वाधिक उसके शालेय समय में होता है | याने की जब बच्चा ५ साल से लेकर १५ साल तक उम्र का होता है, तब उसके मस्तिष्क में कई सारे बदलाव होते हैं, और उनके मस्तिष्क का विकास होता है, ऐसे में यदि बच्चे को या इस उम्र के विद्यार्थी को विज्ञान की तरफ आकर्षित किया जाए, या उनका आकर्षण विज्ञान की तरफ हो, तो उनमें Scientific Thinking का विकास किया जा सकता है, जो उनके सर्वांगीण विकास के लिये बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है | बच्चे में जब Scientific Thinking या Critical Thinking का विकास होता है, तो उनमें उत्सुकता की वृद्धि होती है, उनके मन में कई सारे लॉजिकल सवाल उपस्थित होते हैं | और यही Scientific Thinking आगे जाकर उनमें निर्णय लेने की क्षमता का विकास करती है |


Scintific thinking_1 

तो आईये आज देखते हैं, कि बच्चों में Scientific Thinking का विकास करना क्यों आवश्यक है :
१. Problem Solving में आसानी : जब आपके बच्चे में Scientific Thinking का विकास होता है, तो आगे जाकर उनकी समस्या को सुलझाने की क्षमता याने की Problem Solving अच्छी होती चली जाती है | अर्थात यदि बचपन से ही बच्चे में Scientific Thinking का विकास किया जाए, तो आगे जाकर समस्या को सुलझाने में उसे आसानी होती है | आगे जाकर आपके बच्चे को उसके जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पडेगा, और उन्हें स्वयं ही इसका हल भी निकालना होगा, लेकिन जब उनमें Scientific Thinking का विकास हो, तो वे समस्या सुलझाने के लिये सही निर्णय ले पाने में सक्षम होते हैं | वे किसी भी समस्या को केवल भावनिक दृष्टिकोन से ना देखते हुए, उसका प्रॅक्टिकल अप्रोच भी देखते हैं, इसलिये बचपन से ही उनमें Scientific Thinking का विकास करना आवश्यक है |


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२. किसी भी परिस्थिती का सही आकलन करने में समर्थ :
जब आपके बच्चे में Scientific Thinking का विकास होता है, तो वह किसी भी परिस्थिती का सही आकलन करने में समर्थ हो पाता है | उसके मन में उठने वाले सवाल उसे सही हल ढूँढने में मदत करते हैं, जो आगे के जीवन के लिये बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है | भले ही आगे आने वाली परिस्थिती विज्ञान से संबंधित हो या ना हो, लेकिन उसको चारों ओर से देखने और समझने की शक्ति या कला Scientific Thinking से आती है | इसलिये आपके बच्चे में ये कला होना उसके भावी जीवन के लिये आवश्यक है |


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३. मन में लॉजिकल प्रश्नों का उठना : जब बच्चे में Scientific Thinking का विकास होता है, तो उसके मन में कई प्रश्न उठते हैं | ये प्रश्न उस Scientific Thinking से उत्पन्न हुई उत्सुकता के कारण होते हैं | और ये प्रश्न उन्हें बडी बडी समस्याओं के हल खोजने में मदत करते हैं | आज के ये सीधे साधे लॉजिकल प्रश्न कल जाकर किसी बडे इन्होवेशन का कारण बन सकते हैं | और उसे एक अच्छा करिअर का रास्ता चुनने में भी मदत कर सकते हैं | अत: ये भी एक महत्वपूर्ण कारण है कि, विद्यार्थियों में Scientific Thinking का विकास होना आवश्यक है |


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DYAU Science Communication संस्था इन तीन बातों पर बहुत ज्यादा ध्यान देती है | बच्चे आगे चलकर विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बडा कर सकें, साथ ही सही निर्णय लेने की क्षमता, प्रश्न पूछने की कला और उन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का जज्बा उनमें हो, इसलिये DYAU Science Communication इस दृष्टी में कार्य कर रहा है | DYAU Science Communication का प्रमुख उद्येश्य विद्यार्थियों में यही वैज्ञानिक सोच का निर्माण करना. उनमें उत्सुकता को बढाना और विविध एक्टिव्हिटीज के माध्यम से उन्हें विज्ञान के और भी करीब लाना है | और इस हेतु से DYAU Science Communication कार्यरत है |
१८ जुलाई २०२१ को DYAU Science Communication और IIT Guwahati साथ मिलकर विद्यार्थियों के मन में इस Scientific Thinking को विकसित करने की दृष्टि से लॅब टुअर और सायन्स एक्सपेरिमेंट्स का एक कार्यक्रम लेकर आ रहे हैं | छठवीं से बारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी इस कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं | आपको बस इस लिंक पर जाकर रजिस्टर करना है |
यदि आप भी चाहते हैं कि आपके बच्चे में Scientific Thinking का विकास हो, और वो भी आगे चलकर विज्ञान के क्षेत्र में कुछ बडा करें, तो यह मौका न गवाएँ |

बढाईये एक कदम अपने बच्चे के भविष्य की ओर…!