नेटफ्लिक्स पर आपने ये ‘वुमन ओरिएंटेड’ फिल्में नहीं देखी तो क्या देखा ?

    11-May-2021
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ये लॉकडाउन और नेटफ्लिक्स का नाता कुछ अलग ही है ना ? सबसे अलग सबसे हसीं | जब हमारे पास कोई नहीं होता, तो हमारा नेटफ्लिक्स तो होता ही है, और जब साथ में पार्टनर या फॅमिली हो तो इस नेटफ्लिक्स के भाव और भी बढ जाते हैं, क्यों कि इसे ज्यादा तवज्जो जो मिलने लगती है | नेटफ्लिक्स पर वैसे तो कंटेंट की भरमार है | बच्चों से लेकर बडों तक, मारधाड से लेकर प्रेम प्यार तक नेटफ्लिक्स पर सबकुछ है | लेकिन जब कुछ अलग कंटेंट देखने को मिले तो मजा दुगुना हो जाता है | आज हम बात करेंगे नेटफ्लिक्स पर उपस्थित महिला आधारित उन तीन फिल्मों की जो हटके है, अलग है, नई हैं | देखते हैं हम किन फिल्मों की बात कर रहे हैं |


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त्रिभंग : कुछ ही समय पूर्व नेटफ्लिक्स पर आई इस फिल्म को बहुत पसंद किया जा रहा है | काजोल, तन्वी आजमी और मिथिला पालकर इन तीन महिलाओं मा बेटी की तिकडी के जीवन पर आधारित यह फिल्म है | कैसे एक बिखरे परिवार से होते हुए भी ये तीनों अलग हैं, फिर भी जुडी हुई हैं | तन्वी आजमी ने इसमें नयनतारा का किरदार निभाया है, जो स्ट्रॉंग है, बोल्ड है और हटके है | शादय समाज की चार दीवारी में बैठने वाला नहीं है | वह एक लेखिका है पति से अलग हो चुकी हैं, और अपने पॅशन को अपना जीवन मानकर अपनी जिंदगी जीती आ रही हैं उनकी बेटी काजोल याने कि अनु जो एक प्रसिद्ध अदाकारा है, ओडीसी नृत्यांगना है लेकिन किसी कारणवश उनसे दूर हो जाती है, माँ पिता के तलाक का उस पर गहरा असर होता है, और वो भी कुछ गलत निर्णय लेती है | फिर आती है माशा, याने कि मिथिला पालकर जो कि एक बहुत ही प्यारी सुलझी हुई लडकी है | भरे पूरे परिवार में उसकी शादी होती, जहाँ वो घूंघट में रहती है | काफी अलग किरदारों से भरी इस फिल्म की कहानी दिलचस्प है, और किरदारों का अभिनय उत्तम. एक विचित्र, अलग, लेकिन अच्छे से अहसास के लिये आप यहल फिल्म देख सकते हैं | हाँ इसमें काजोल की भाषा को आपको थोडा इग्नोर ही करना पडेगा | साथ ही काजोल को ओडीसी नृत्यांगना दिखाया है, यदि उसका एक नृत्य भी होता तो फिल्म में चार चाँद लग जाते | रेणुका शाहणे राणा द्वारा लिखित और निर्देशित यह फिल्म बहुत ही अलग दर्जे की है |




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गुंजन सक्सेना द कार्गिल गर्ल : तो गुंजन सक्सेना की कहानी के बारे में आपने पढा होगा, सुना होगा और शायद आपने यह फिल्म देखी भी होगी, लेकिन जिसने नहीं देखी वो अवश्य देखे | यह कहानी है भारत की पहिली महिला फायटर पायलट गुंजन सक्सेना की जिसने कारगिल के युद्ध में अपना फर्ज निभाया, अनेक वीरों की जान बचाई, और दुश्मन के खिलाफ अपने देश को बचाने के लिये वे अपनी जान पर खेल गईं | और यह सब तब हुआ जब वह केवल २४ साल की थीं | एक बहुत ही इंस्पायरिंग कहानी है | इस फिल्म में गुंजन सक्सेना के किरदार में आपको नजर आएंगी जान्हवी कपूर, जिसने वाकई में बहुत अच्छा अभिनय किया है | लेकिन सारे ब्राउनी पॉईंट्स ले गए हैं, गुंजन के पिता याने कि पंकज त्रिपाठी | हर लडकी उनके किरदार में अपने पिता को देखेगी | बाप बेटी का प्यारा सा रिश्ता आपको इसमें देखने को मिलेगा | साथ ही गुंजन के साथ ऊधमपूर बेसकँप में केवल वे एक लडकी थीं, इस वजह से किस प्रकार गलत बर्ताव हुआ, यह भी पुरुष प्रधान संस्कृति के बारे में बहुत कुछ कह जाता है |एक अलग अनुभव के लिये यह फिल्म अवश्य देखें |



हालांकि दोनों फिल्में अलग जॉनर की हैं, और अभिनय किरदार कहानी सब अलग है, लेकिन जब आप एक दिन में ये दोनों फिल्में देखते हैं, तो एक अलग तरह का कनेक्ट महसूस करते हैं, जैसे कि, अपने पैरों पर खडे रहने की, अपने आप में पूर्ण होकर किसी मर्द के कंधे की आवश्यकता न होने की कोशिश दोनों फिल्मों में दिखती है |

तो यदि आप अगले वीकएंड फ्री हैं, और कोई अच्छी सी फिल्म देखने की सोच रहे हैं, और आपने अभी तक ये फिल्में नहीं देखी हैं, तो अवश्य देखें | आपको मजा आएगा |

मिलते हैं, ऐसे की किसी फिल्म रिव्ह्यूज के साथ अगली बार…!

- निहारिका पोल सर्वटे