महाराष्ट्र में कोरोना दिन प्रतिदिन अपने हाथ पैर फैलाता जा रहा है | फिर एक बार केसेस बढने लगे हैं, और दूसरी लहर ने तो पहली लहर से भी ज्यादा नुकसान करने की ठान रखी है | आज भी महाराष्ट्र में कोरोना के सर्वाधिक पेशंट्स निकल रहे हैं | ऐसे में राज्य सरकार का दायित्व बनता है कि वे अपनी जनता को सुविधाएँ प्रदान कर सकें, स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का इंतेजाम कर सकें, वो भी तब जब वे एक बार इस परिस्थिती का सामना कर चुके हैं, लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है | महाराष्ट्र में वॅक्सीन और रेमडिसवीर इंजेक्शन्स को लेकर भी बवाल और कालाबाजारी का नजारा देखने को मिला है |
महाराष्ट्र में कोव्हिड पॉजिटिव्ह जनता को, रेमडिसवीर इंजेक्शन की आवश्यकता है, लेकिन वे इंजेक्शन्स तक उपलब्ध नहीं है | अस्पतालों में बेड नहीं है, मेडिकल सुविधाओं में कमीं है, ऐसे में जनता परेशान है, हलाकान है और कोई कुछ नहीं कर पा रहा है | कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता है, ऐसे में पिछले साल जब एक बार हम ये परिस्थिती देख चुके थे, इससे गुजर चुके थे तो फिर सरकार एक साल में तैयार क्यों नहीं हो सकी ? इस बात पर प्रश्न उपस्थित करते हुए महाराष्ट्र के विपक्ष नेता देवेंद्र फडणवीस ने भी उंगलू उठाई है | वे कहते हैं, “महाराष्ट्र राज्य को भारत सरकार पूरी मदत कर रहा है, वॅक्सीन भी यथासमय भेजी जा रही है, लेकिन फिर भी महाराष्ट्र सरकार वॅक्सीन को लेकर राजनिती कर रही है |”