दिल्ली में २६ जनवरी के बाद से भडकी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है | किसानों के नाम पर गुंडागर्दी कर रहे आंदोलनकारियों को जब सिंघू बॉर्डर से हटाने के निर्देश सरकार ने दिये, और भारी मात्रा में पुलि बल तैनात किया, उसके बावजूद भी इन आंदोलनकारियों ने वहाँ से हटने का नाम नहीं लिया | आखिरकार पुलिस को बल का उपयोग करना पडा और सिंघू ब़ॉर्डर पर आँसू गॅस के गोले छोडने पडे | जिसके कारण वहाँ का वातावरण गरम हो गया है |
दिल्ली में २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन, किसानों की शांतिपूर्ण ट्रॅक्टर रॅली होनी थी | लेकिन स्वयं को किसान बताने वाले इन आंदोलनकारियों ने पुलिस द्वारा तय रूट को तोड कर अपने ही मार्ग पर हिंसात्मक आंदोलन करना प्रारंभ कर दिया | इस आंदोलन में ट्रॅक्टर का उपयोग पुलिस को खदेडने के लिये किया गया | आंदोलनकारियों के पास भारी मात्रा में अस्त्र शस्त्र भी थे | जिसका उपयोग उन्होंने पुलिस पर वार करने के लिये किया | लगभग ३९४ पुलिस जवान इस घटना में घायल हुए | इस घटना का पूरे देश में जमकर विरोध हुआ | और आंदोलनकारियों पर कडी से कडी कार्यवाही की जाए ऐसी मांग सामान्य जनता द्वारा की गई | इस घटना के बाद सरकार एक्शन में आ गई | उत्तरप्रदेश सरकारने भी पुलिस अधिकारियों को सख्त आदेश दिये हैं | सिंघू बॉर्डर से आंदोलनकारियों को हटाने का आदेश सरकार द्वारा दिया गया है | पुलिस तो सरकारी आदेश का पालन कर रही है | लेकिन आंदोलनकारी हैं कि हटने का नाम ही नहीं ले रहे |
एक आदमी (जिसकी पहचान नहीं हो पाई है) ने तलवार ने दिल्ली के अलीपुर थाना एसएचओ, प्रदीप पालिवाल पर वार किया और एसएचओ ज़ख़्मी हो गए | इस पूरी घटना में आसपास की सामान्य जनता भी आंदोलनकारियों के विरोध में है | टीकरी बॉर्डर पर भी कई लोग इकट्ठा होकर इन आंदोलनकारियों का विरोध कर रहे हैं |
२६ जनवरी को जिस प्रकार तिरंगे का अपमान किया गया है, उसका विरोध पूरा देश कर रहा है | जिस बर्बता से ये आंदोलनकारी पुलिस पर टूट पडे और उन्हें घायल किया, क्या ये असली किसान हो सकते हैं ?