ऐसे कैसे किसान ? क्या देश के लिये पुलिस महत्वपूर्ण नहीं ?

27 Jan 2021 15:45:37

बीते दिन दिल्ली के लाल किले पर जो भी हुआ वह बेहद ही शर्मनाक और देश के गणतंत्र का कालिख पोतने वाला था | गणतंत्र दिवस पर जानूभ कर ट्रॅक्टर रॅली निकाल कर, उन ट्रॅक्टरों का उयोग पुलिस को खदेडने में करने वाले लोग अवश्य ही किसान नहीं हो सकते. किसान तो वह होता है जो देश का अन्नदाता है, देश की भलाई के लिये सोचता है, मिट्टी की लाज रखता है, ये किसान हो ही नहीं सकते जो लालकिले पर देश का तिरंगा निकाल कर अपना झंडा लगाए | ये किसान नहीं हैं | आज तक ये आंदोलन और बयानबाजी देश ने और देश की रकार ने सहन की कारण एक था, किसान | किसानों के नाम पर ये आंदोलन लडा जा रहा था, और देश का नेतत्व, देश की जनता किसानों को चोट नहीं पँहुचाना चाहती थी | लेकिन यहां एक प्रश्न उपस्थित होता है, जिस प्रकार देश के लिये किसान महत्वपूर्ण हैं, क्या उसी प्रकार और उतने ही देश के पुलिस नहीं ? कल इस हिंसक आंदोलन में देश के लगभग ३०० से अधिक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हैं, और उनका पक्ष सामने रखने वाला कोई नहीं ?

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पुलिस ने विश्वास रख कर, किसानों के नाम पर ट्रॅक्टर रॅली की अनुमति दी, और तीन मार्ग तय किये | लेकिन इन तथाकथित किसान और किसान नेताओं ने क्या किया ? मार्ग तोड कर अपने ही तय किये मार्ग पर घुस गए | पुलिस ने रोकना चाहा तो ट्रॅक्टर उन पर चलाने की धौंस दिखा कर उन्हें खदेड दिया | पुलिस ने दंड देने की कोशिश की तो उनको घेर कर मारने की कोशिश की | इनती बडी संख्या में आकर पुलिस से धक्का मुक्की, हाथापाई की | उन्हें रेलिंग से गिरा दिया गया, उन पर डंडे बरसाए गए, उन पर ट्रॅक्टर चलाने की कोशिश की गई | क्या ऐसा कोई अन्नदाता कर सकता है ? उत्तर है, हरगिज नहीं ! 

जिस तरह देश में अन्न की आपूर्ति करने के लिये किसान महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार देश में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिये पुलिस | एक देश की भूख मिटाता है, तो दूसरा देश की रक्षा करता है | लेकिन कल जो नजारा हमने देखा, वह भयंकर था, भूख मिटाने वालों के नाम पर रक्षा करने वालों को ही खदेडा जा रहा था | क्या उनकी जान की कोई कीमत नहीं ? उन्हें क्या पडी थी, लाल किले की रक्षा करने की | लेकिन वे अपना धर्म निभा रहे थे, अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे | तथाकथित किसान नेताओं का रोष सरकार पर था, कृषि बिल नामंजूर होने के कारण यह सब किया गया, तो गुस्सा पुलिस पर क्यों निकाला ? 


सत्य तो यह है कि, जिस कृषि बिल पर इतना बवाल हो रहा है, सरकार उसमें संशोधन के लिये तैयार है, सरकार बातचीत के लिये भी पहले ही दिन से तैयार है | लेकिन तथाकथित किसान नेता बातचीत करना ही नहीं चाहते | किसानों का नाम लेकर अपना उल्लू सीधा करने वाले कई लोग यहाँ हैं | जो अपने फायदे के लिये देश से गद्दारी करने से भी नहीं चूकेंगे | कल जिन्होंने उत्पात मचाया वे किसान हो ही नहीं सकते |





हमारे देश ने, देश की आजादी के लिये मर मिटने वाले भगतसिंग को देखा है, मुस्लिम शासकों के सामने घुटने ना टेकने वाले, अपने और अपने पूरे परिवार का बलिदान देने वाले गुरु गोविंद सिंह जी को देखा है, देश में सेवा भावी कई सारे गुरुद्वारों को देखा है, नाम और जात पात बिना पूछे लंगर खिलाने वाले सिख पंथ को देखा है, कोई सच्चा पगडीवाला देश के खिलाफ कभी नहीं जाएगा, ये पगडी इस देश की आन है | और जो इस धर्म की लाज नहीं रख सकते, वे देश के गद्दार ही कहलाते हैं, कल जो भी दिल्ली में हुआ, जिन्होंने भी वह किया, वे ना तो किसान थे, ना ही सच्चे सिख |



इसलिये अभी भी जिन्हें लग रहा है, कि कल का आंदोलन किसानों ने किया था, और इसके पीछे किसानों की भावनाएँ हैं, वे या तो बहुत ही भोले हैं, या फिर उनके विचारों में खोट है | देश की आन बान और शान पर कीचड उछालने वालों पर सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये यही इस देश की जनता की मांग है | अगर ऐसा ना हुआ तो बार बार यह देश जलता रहेगा और बार बार तिरंगे का अपमान होता रहेगा |




 


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