कोरोना की स्थिती आने से पहले क्या आपने किसी को मास्क पहने देखा था ? यदि आप दिल्ली निवासी हैं, तो आपने बीते वर्ष इन्हीं महीनों में देखा होगा | दिल्ली के आसपास पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने के कारण बडे पैमाने पर प्रदूषण होता है | इस वर्ष भी यह प्रदूषण होने की संभावनाएँ हैं, ऐसा नासा द्वारी जारी की गई सेटेलाइट तस्वीरों के माध्यम से प्रतीत हो रहा है | नासा ने हाल ही में कुछ सेटेलाइट तस्वीरें शेअर की हैं, जिसमें दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों में १३ से १६ सितंबर के बीच किसानों नें फसल काटने के बाद पराली जलाना शुरु कर दिया है | यदि यह सिलसिला पिछले साल जैसा ही रहा तो दिल्ली फिर एकबार गॅस चेंबर बन जाएगी |
दिल्ली एनसीआर में कोरोना के चलते पिछले ६ महीनों से वातावरण में काफी सुधार आया है | लॉकडाउन के कारण पहली बार दिल्ली में लोगों ने शुद्ध हवा में साँस ली है | पक्षियों की चहचहाहट, शुद्ध हवा, पेडों पर हवा का खेलना ये सारे अनुभव लॉकडाउन के समय दिल्ली वासियों नें लिये हैं | लेकिन फिर एक बार पराली जलाने के कारण वातावरण में अशुद्ध हवा के बढने के संकेत हैं | ऐसे में दिल्लीवासी नहीं चाहते कि दिल्ली और आसपास के क्षेत्र का वातावरण फिर एक बार खराब हो |
SAFAR के मुताबिक़, दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाने से तेज आग के कारण गर्म हवाएं चलने लगी हैं. हालांकि, अगले 3 दिनों तक हवाओं के चलने से दिल्ली का AQI मिनिमम रहने वाला है. 23 सितंबर को दिल्ली-एनसीआर का AQI 113 था, जबकि 22 सितंबर को AQI 120 दर्ज किया गया था |
किसानों द्वारा फ़सल जलाने से भारी मात्रा में ज़हरीले प्रदूषक तत्व जैसे मीथेन, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्सिनोजेनिक पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन निकलते हैं. साल 2019 में दिल्ली-एनसीआर में 44 प्रतिशत वायु प्रदूषण पंजाब-हरियाणा में फ़सल जलाने के कारण हुआ था |