अपमान का बदला चाय पिलाकर लिया !!! जानिये लोकतंत्र के मंदिर में क्या हुआ !!!

22 Sep 2020 13:19:47

यदि कोई आपका अपमान करे, तो आप क्या करेंगे ? आपको बहुत बुरा लगेगा,शायद आप भी अपमान करने वाले को बुरा भला कहेंगे | लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका अपमान करने वालों के साथ आप अच्छा बर्ताव कर सकते हैं ? नहीं ना ? लेकिन ऐसा ही एक अनोखा वाकया हुआ है, लोकतंत्र के मंदिर संसद भवन में | हुआ यूँ कि, दो दिन पूर्व राज्यसभा में कृषि संबंधित बिल पारित करते वक्त मचे हडकंप के बाद उप सभापति हरिवंश नारायण ने ८ सांसदों को निलंबित कर दिया | कृषि बिल पारित होते वक्त सासंदो ने असंसदीय नारे लगाए, हिंसक व्यवहार किया, जिस कारण से उप सभापति द्वारा उन्हें निलंबित कर दिया गया | इस बात से उप सभापति हरिवंश को पीडा अवश्य हुई लेकिन उनके बाद के व्यवहार ने सभी का दिल जीत लिया |


Harivansh Narayan_1 

सांसदों को निलंबित करने के बाद, सभी ८ सांसदों नें संसद परिसर में रात भर धरना दिया | इसके बाद सुबर हरिवंश ने जाकर उनसे मुलाकात की, और उन सभी सांसदों को अपने घर से चाय बनाकर पिलाई | जिन सांसदों ने उप सभापति के साथ बुरा व्यवहार किया, उन पर कागज फेकें, असंसदीय नारे लगाए, उनका भरपूर अपमान किया, उन्हीं सांसदों को उप सभापति महोदय ने चाय पिलाई |प्रसंग मार्मिक है | और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं उपसभापति हरिवंश नारायण की तारीफ करते हुए ट्वीट किया है |

 

वे कहते हैं, “ हर किसी ने देखा कि दो दिन पहले लोकतंत्र के मंदिर में उनको किस प्रकार अपमानित किया गया, उन पर हमला किया गया और फिर वही लोग उनके खिलाफ धरने पर भी बैठ गए। लेकिन आपको आनंद होगा कि आज हरिवंश जी ने उन्हीं लोगों को सवेरे-सवेरे अपने घर से चाय ले जाकर पिलाई। यह हरिवंश जी की उदारता और महानता को दर्शाता है। लोकतंत्र के लिए इससे खूबसूरत संदेश और क्या हो सकता है। मैं उन्हें इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं।”

इसके बाद हरिवंश जी ने राष्ट्रपति महोदय को एक पत्र लिखा, इस पत्र की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह पत्र भी अपने सोशल मीडिया के माध्यम से शेअर किया है, इस पत्र में हरिवंश लिखते हैं, “'राज्यसभा में जो कुछ हुआ, उससे पिछले दो दिनों से गहरी आत्मपीड़ा, तनाव और मानसिक वेदना में हूं। मैं पूरी रात सो नहीं पाया।'सदन के सदस्यों की ओर से लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ। आसन पर बैठे व्यक्ति को भयभीत करने की कोशिश हुई। उच्च सदन की हर मर्यादा और व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई गईं। सदन में सदस्यों ने नियम पुस्तिका फाड़ी। मेरे ऊपर फेंका |” वे आगे लिखते हैं, “नीचे से कागज को रोल बनाकर आसन पर फेंके गए। आक्रामक व्यवहार, भद्दे और असंसदीय नारे लगाए गए। हृदय और मानस को बेचैन करने वाला लोकतंत्र के चीरहरण का पूरा नजारा रात मेरे मस्तिष्क में छाया रहा। इस कारण मैं सो नहीं सका। गांव का आदमी हूं, मुझे साहित्य, संवेदना और मूल्यों ने गढ़ा है।” उनका संपूर्ण पत्र अवश्य पढने जैसा है | यह पत्र संवेदनाओं से भरा है, और एक जमीन से जुडे व्यक्तित्व की पहचान कराता है |

हरिवंश जी के व्यवहार ने एक सीख अवश्य दी कि, हर समस्या का जवाब, हर अपमान का जवाब चिढने, परेशान होने और अपशब्दों में नहीं है, कई समस्याएँ शांति से भी सुलझाई जा सकती है, और आपका यह व्यवहार आपके व्यक्तित्व का परिचायक होता है |

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