बंदिश बँडिट्स पूरब और पश्चिम का अनोखा संगम"

12 Sep 2020 18:27:00

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           पूरब और पश्चिम का अनोखा संगम"
दोस्तो......आज का जमाना वेबसीरीज का है।
टिपिकल सास-बहू षड्यंत्र, घर के झगड़े और हुबहू कहानियों से बहुत अलग वेबसीरीज की दुनिया में आपको अनेक नयी और बेहतरीन कहानियां देखने मिलती है। हालाकि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के चलते कई बार उसमे ऐसा कंटेन्ट होता है जो आप परिवार के साथ नहीं देख सकते, परंतु नए जमाने की नयी-नयी कहानियों का मजा आप जरूर ले सकते हो।
आज मै एक ऐसी ही कहानी के बारे में आपको बताना चाहूंगी.......
नाम है......बंदिश बँडिट्स
ये कहानी है........राधे की जिसकी आत्मा उसके घराने के शास्त्रीय संगीत में बसी है....... और तमन्ना की जो एक उड़ता पंछी है......खूबसूरत और बिंदास......
 
बंदिश.....का टीज़र देख कर ही आप इसके गानों की ओर आकर्षित हो जाते हैं, बहुत लंबे समय के बाद शास्त्रीय संगीत पर आधारित कोई कहानी देखने मिलेगी ये सोच कर ही अच्छा महसूस होता है।
सबसे आकर्षक है इसका शीर्षक
“बंदिश बँडिट्स......
जैसा की हम सब जानते है शास्त्रीय संगीत में अनेक रागों से कई छोटे-छोटे काव्यांश निकाले जाते हैं जिन्हे बंदिश कहा जाता है।
 
बंदिशे जिस राग पर आधारित होती है उन्हे वैसे ही गाया जाता है......सीधे शब्दों में बंदिश की सीमा तय होती है वो कभी अपनी मर्यादा का उल्लघन नहीं करती।
और बँडिट्स का अर्थ सभी जानते हैं......विद्रोही....सारे नियमों को ताक पर रखने वाला.......हदें पार करने वाला........
ये कहानी ऐसे ही दो अलग-अलग लोगों की है......अब आप ही सोचिए आग और पानी कभी साथ रह सकते हैं क्या????
एपिसोड की शुरुवात ही एक मधुर बंदिश के साथ होती है, जिसके कारण संगीत प्रेमियों के मन मे ये सीरीज देखने की उत्सुकता जरूर निर्माण हो जाती है। राधे जो की संगीत सम्राट राधेमोहन राठौड़ का पोता है। जिनका नाम और घराना सालों पुराना है और काफी प्रसिद्ध है......पूरे शहर में उनके परिवार की इज्ज़त है और खासकर राजघराने में उनका महत्वपूर्ण स्थान है......
 

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उसी राठौड़ घराने की एक परंपरा है
  
“गंडाबंधन”...... 
 
जिसमे गुरु अपने शिष्य को एक धागा बांधता है जिसका अर्थ है की अब वह शिष्य गुरु के सम्पूर्ण ज्ञान का अधिकारी है और अपने घराने के संगीत को वही आगे ले जा सकता है। पर ये इतना आसान नहीं क्यूंकि यदि एक बार आपका गंडाबंधन हो गया तो उसके बाद आप कोई भी दूसरा संगीत गा नहीं सकते, यहाँ तक की दूसरे घराने का संगीत सुन भी नहीं सकते.....
 
आपको सिर्फ और सिर्फ अपने गुरु के घराने के साथ ईमानदार रहना होगा, ये नियम पीढ़ी दर पीढी ऐसे ही चले आ रहे होते है।
तो इस कहानी का मुख्य आधार है हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और घराने......
आपने ग्वालियर घराना, जयपुर घराना, जोधपुर घराना इन दिग्गज संगीत घरानों के बारे में सुना ही होगा.....वैसे ही इस कहानी में है......
राठौड़ घराना......
राधेमोहन राठौड़ {नसीरुदीन शाह} एक बहुत ही अनुशासित और सिद्धांत वादी संगीत के उपासक हैं, जिनका पोता राधे उनसे ही संगीत की शिक्षा ले रहा है....
राधे के जीवन का बस एक ही उद्देश है....एक बार उसका गंडाबंधन हो जाये और वो राठौड़ घराने के संगीत का वारिस बन जाये...पर उसको डर है क्यूंकि आज तक उसके पिताजी और काका को भी “पंडित जी” ने ये अधिकार नहीं दिया।
वो दिलोजान से मेहनत कर रहा होता है अपने सख्त और नियमों में रहने वाले दादाजी की नजरों में जगह बनाने के लिए......पर किस्मत मे तो कुछ और ही लिखा है नं.......
इसलिए उसी दौरान उसके जीवन में आती है तमन्ना.......
जहां एक ओर राधे बहुत ही सीधा-साधा, अपने संगीत में ही 24 घंटे रहने वाला इंसान है,जिसने अपने शहर से बाहर की दुनिया सिर्फ मोबाइल में ही देखी है ।
वहीं तमन्ना एक अल्ट्रा मॉर्डन, पश्चिमी सभ्यता और संगीत को मानने वाली, इंटरनेट की दुनिया में अपने पॉप गानो से तहलका मचाने वाली लड़की है.....अब जब ये दोनों मिलते है तो क्या होता है वो आपको खुद ही देखना चाहिये, मै बता दूंगी तो मजा किरकिरा हो जाएगा........
एक तरफ पंडित जी को राधे के रियाज मे अभी भी कमी नजर आ रही होती है और दूसरी तरफ राधे और तमन्ना प्यार के रंग में इतना रंग जाते है की एक दूसरे के बिना रहना अब उनके लिए नामुमकिन होता है........इसी ताने-बाने को बुनते हुये कहानी आगे बढ़ती है.....और फिर अचानक आते है राधे के सौतेले ताऊजी दिग्विजय........
उनके आने से कहानी का रुख ही बदल जाता है.......अब आगे जो भी होता है वो राधे और तमन्ना का जीवन कैसे बदल देता है......
ये सब बहुत ही खूबसूरती से दर्शाया गया है.......कई बार आपकी आंखो में आसूं आते है......राधे की सादगी और तमन्ना का अल्हड़पन आपको अपने पुराने समय में खींच लाता है।
ये कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती है......हम जब भी राधे को देखते है....जो अपने घर की इतनी सारी समस्याओं के बावजूद कभी अपना आपा नहीं खोता.......अपने से बड़ों का मान, अदब वो हर समय करता है चाहे उसके साथ कितनी भी ज्यादती हो रही हो......अपना घर अपना परिवार सबसे पहले बाकी सभी बाद में......उनके लिए वो कुछ भी कर-गुजरने के लिए तैयार है.......
वहीं तमन्ना कितनी भी मॉर्डन हो पर वो प्यार के मायने समझती है और हर बुरे समय में राधे के साथ खड़ी रहती है......उनके प्यार में गलतफहमियों, झगड़ों और बुरी बातों को जगह ही नहीं है......जब कोई गलती करे सामने आकर उससे बात करो और उसे माफ कर दो।
यहाँ तक की राधे को अपने घर-परिवार और संगीत साधना के लिए वक़्त मिले इसलिए वो उसको छोड़ कर दूर चली जाती है.......
उन दोनों का ये प्यार ये समझदारी एक दूसरे की फिकर करना सब कुछ बहुत ही प्यारा है......
प्यार हो तो ऐसा हो यही लगता है इस जोड़ी को देख कर......
 

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        ये कहानी सिर्फ कहानी नहीं बल्कि जुगलबंदी है पूरब और पश्चिम के संगीत की...... दो अलग संस्कृतियों के आपस के रिश्ते की.......
इस कहानी का सबसे ताकतवर पहलू है इसका शास्त्रीय संगीत....
उसके अलावा कहानी का फिल्मांकन बहुत ही खूबसूरत जगहों पर किया गया है.....हवेली....प्रिंस पैलेस या फिर रियाज करने का स्थान सभी आकर्षक है.....उसके बाद आते है कॉस्ट्यूम्स......टिपिकल राजस्थानी परिधान.....गायको और संगीत साधको को ध्यान मे रख कर चुने गए है।
और जहां तक एक्टिंग की बात करें तो नसीरुद्दीन शाह, अतुल कुलकर्णी, मेघना मलिक, शीबा चड्डा, अमित मिस्त्री, राजेश तेलंग, ऋतुराज सिंग जैसे जाने पहचाने कलाकार तो है ही कमाल.......
 
पर उनके साथ नए कलाकार ऋत्विक भौमिक( राधे ) और श्रेया चौधरी( तमन्ना ) सुपर से भी ऊपर है......एक और चरित्र है जो अपनी खास जगह बनाता है वो है राहुल कुमार ( कबीर )
एक बेहतरीन दोस्त के रूप में नजर आने वाला कबीर और कोई नहीं 3ईडीयट्स का मिलीमीटर है जो इस कहानी में भी अपनी छाप छोड़ता है.....दोस्ती की बात आयी है तो एक नाम और आता है वो है तमन्ना का दोस्त अर्घ्य ( कुणाल रॉय कपूर) जो अपनी दोस्त के लिए कुछ भी करने तैयार है। 
 
हाँ अब इन दोनों की भाषा उतनी सभ्य नहीं होती पर इतना चलता है यार....... क्यूकिं हमारे दोस्त भी कहां हमसे सभ्य भाषा में बात करते है???
 
 
तो ऐसी ही अजब-गज़ब बातों से भरी है ये प्रेम कहानी जिसमे प्रेम है....परिवार है.....मान-सम्मान है और सबसे बड़ी बात बहुत ही उम्दा संगीत है.....
शंकर-एहसान-लॉय की तिकड़ी ने एक बार फिर कमाल किया है....
 
आप “विरह” सुने या “गरज-गरज” या फिर “जागो मोहन प्यारे” सभी गाने एक से बढ़कर एक है......इस कहानी को निर्देशित किया है आनंद तिवारी ने.....और आप इसको अमेझॉन प्राइम वीडियो पर देख सकते है,
तो जरूर देखिये एक खूबसूरत संगम पूरब और पश्चिम का
एक मधुर प्रेम कहानी
“बंदिश बँडिट्स”
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