कोरोना भी नहीं रोक पाया बाप्पा के स्वागत के उत्साह को !!!

24 Aug 2020 11:00:00

संपूर्ण देश में कोरोना का डर आज भी व्याप्त है, धीरे धीरे दुकानें बाजार खुलने लगे हैं | धीरे धीरे जनजीवन पटरी पर आने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी भी इस बीमारी का डर ज्यों का त्यों है, और ऐसे में इन विघ्नों को दूर करने के लिये गणपती बाप्पा का धूमधाम के साथ आगमन हुआ है | भले ही इस साल पंडालों की रौनक ना हो, भले ही इस साल महाराष्ट्र में सार्वजनिक गणेशोत्सव नहीं मनाया जा रहा हो, भले ही इस साल सब एकसाथ मिलकर ये त्यौहार नहीं मना रहे हों, तो भी लोगों नें अपनी अपनी तरफ से बाप्पा के स्वागत में कोई कमीं नहीं छोडी है | और बाप्पा का स्वागत बडे ही प्यार से हुआ है |


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घर पर ही मूर्ती का निर्माण : इस साल कई लोगों नें कोरोना के कारण बाजार से बाप्पा की मूर्ती ना लाकर स्वयं घर पर अपने हाथों से मूर्ती का निर्माण किया है | कई लोगों नें पहली बार ही मिट्टी के गणेश जी घर पर बनाए हैं | तो कई लोग पहले से बनाना जानते थे | लेकिन इस साल सोशल मीडिया पर Home Made Bappa काफी चर्चे में हैं | और सभी अपने घर पर बनीं मूर्तियों के फोटोज शेअर कर रहे हैं |





विविध थीम्स के साथ सजावट : कई लोगों ने घर पर उपलब्ध साधन से ही अनोखी सजावट की है | मुंबई की वेदवती चिपळूणकर के घर में राम मंदिर भूमिपूजन की खुशी में राम मंदिर के थीम वाली सजावट में बाप्पा बिठाए गए हैं | ये सजावट देखते ही बनती है, कई लोगों नें घर पर छत्रपती शिवाजी महाराज के किले की थीम की सजावट तो चूहे के रथ की सजावट, कहीं कोरोना को दूर करने की प्रार्थना करते हुए इसी की सजावट की गई है | लोगों नें सोच विचार कर अपनी कलात्मकता का उपयोग करते हुए बाप्पा की सजावट में कोई कमीं नहीं छोडी है |



व्हर्चुअल आरती : इस बार सार्वजनिक गणेशोत्सव नहीं हो रहे हैं | लेकिन फिर भी लोगों नें सालों की परंपरा छोडी नहीं है, लोग आज भी ऑनलाईन गणेशोत्सव के माध्यम से सालों से चली आ रही परंपरा निभा रहे हैं | जबलपुर के महाराष्ट्र समाज गणेशोत्सव ने भी इस साल ऑनलाईन कार्यक्रम आयोजित किये हैं, और लोग रोज यहाँ की व्हर्चुअल आरती का आनंद ले रहे हैं | कोरोना लोगों को मिलने से रोक सकता है लेकिन जुडने से नहीं ये बात आज ऐसी कई संस्थाओं नें सिद्ध कर दी है |



इस तरह घर परिवार के लोग भी व्हिडियो कॉल के माध्यम से घर के गणपती बाप्पा की आरती का हिस्सा बन रहे हैं | साथ ही एक दूसरे को फोन के माध्यम से, मॅसेजेस के माध्यम से अपने होने का, मिलने का अहसास दिला रहे हैं | तो क्या हुआ यदि हम हजारों की संख्या में जुडकर गणेशोत्सव नहीं मना सकते, हजारों लोग एकसाथ ऑनलाइन आकर तो मना ही सकते हैं, तो क्या हुआ इस बार बाप्पा की सजावट के लिये सामान खरीदा नहीं जा सका, घर पर तो बनाया जा ही सकता है ना, तो क्या हुआ आज सब दूर दूर हैं, बाप्पा तो हमारे करीब है ना ?

भारत की जनता ने फिर एकबार सिद्ध किया है कि भारत की संस्कृति को जोडे रखने में कोरोना जैसी महामारी भी बाधा नहीं बन सकती |


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