क्या है ये Y2K बग? और क्यूँ किया प्रधानमंत्री ने किया इसे याद ?

    14-May-2020   
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दो दिन पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के नाम संदेश दिया वो तो आप सभी ने सुना ही होगा | उन्होंने काफी महत्वपूर्ण मुद्दों की इस संदेश में चर्चा की | लेकिन उद्बोधन देते वक्त उन्होंने सन २००० में आई एक समस्या का उल्लेख किया, और वो समस्या सुलझाने में उन्होंने भारत के योगदान के बारे में भी बात की | वो समस्या थी Y2K बग | तो कई लोग जिन्हें इस समस्या के बारे में नहीं पता, सोच में पड गये कि Y2K बग आखिर है क्या ? और भारत का इस समस्या को सुलझाने में क्या योगदान रहा है ?


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पिछले 54 दिन में पांचवीं बार देश को संबोधित करने आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना वायरस से जूझ रहे देश के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान किया। साथ ही साथ लॉकडाउन 4.0 पर भी मुहर लगा दी। 33 मिनट के अपने इस संबोधन के दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री ने इस शताब्दी की शुरुआत में आए Y2K संकट का भी जिक्र किया। आखिर यह क्या 'Y2K' संकट था क्या और क्यों किया पीएम ने इसका जिक्र?


20 साल पहले आया था Y2K संकट

आज भले ही पूरी दुनिया में संचार क्रांति आ चुकी हो। विशाल कम्प्यूटर अपना रूप बदलकर जेब में समा चुके हो, लेकिन इस सदी की शुरुआत में हालात ऐसे नहीं थे। कहा तो ये भी जा रहा था कि पूरी दुनिया से कम्प्यूटर खत्म हो जाएंगे। संचार तंत्र प्रभावित हो जाएगा कारण था Y2K बग।

तो बात है १९६०-७० के दशक की जब भारत में कंप्यूटर बहुत ही नया था | परंतु कई विकसित देश कंप्यूटर की दुनिया को अपना चुके थे, और कंप्यूटर युग के आदि हो चुके थे | लेकिन उस समय में कंप्यूटर के मेमरी बहुत ही महंगी हुआ करती थी | ऐसे में कंप्यूटर पर तारीख को सेव्ह करते वक्त क्या फॉरमेट होना चाहिये यह तय किया गया | जिसमें यह निर्णय हुआ कि तारीख सेव्ह करते वक्त उस साल के आखरी के केवल २ डिजिट याने कि आखरी की केवल दो संख्याएँ ली जाएँगी | जैसे की यदि वह तारीख ६ जून १९७१ है, तो उसे 06/06/71 ऐसे लिखा जाएगा | डेट और टाइम फॉरमॅट के बारे में तो हम सब जानते ही हैं | सब सही चल रहा था | लेकिन जैसे ही उस सदी का आखरी महीना याने की १९९९ का दिसंबर आया सभी वैज्ञानिक और बुद्धीजीवी परेशान हो गये कि अब क्या किया जाए ? क्यूँ कि यदि सन् २००० के आखरी के २ डिजिट लिये जाएँगे, तो वे ०० हो जाएँगे | और कंप्यूटर में पूरी सदी ही बदल जाएगी क्यूँ कि कंप्यूटर तो इसे १९०० के हिसाब से लेगा | ऐसे में पूरा कॅलेंडर ही बदल जाएगा | बँकों में, कार्यालयों में इस तरह के बग के कारण बहुत बडी समस्या निर्माण हो सकती थी | सारे देश परेशान हो गए कि अब क्या किया जाए ?

साल 2000 की शुरुआत में संख्या को लेकर कंप्यूटर के कैलेंडर और स्टोरेज में आई समस्या को Y2K संकट कहा गया। Y2k में y का मतलब year (ईयर), 2 को मतलब दो और k का मतलब हजार है यानी 2000।


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पूरी दुनिया को इस बात की चिंता थी कि साल 2000 में प्रवेश करते ही कम्प्यूटर काम करना बंद कर देंगे। वायटूके संकट को मिलियन बग भी कहा गया क्योंकि दुनियाभर के कम्प्यूटर में तारीख को लेकर बग आने वाला था। दुनियाभर की सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिए अरबों डॉलर्स खर्च किए। यदि इस बग को ठीक नहीं किया गया होता तो सबसे ज्यादा नुकसान बैकिंग, साइबर सिक्योरिटी और वैज्ञानिक क्षेत्र को होता।

उस दौर के कम्प्यूटर विशेषज्ञों ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए थे कि कम्प्यूटर में 21वीं सदी के लिए पर्याप्त प्रोग्राम नहीं हैं, इसलिए वे ध्वस्त हो सकते हैं। अमेरिका-यूरोप में तो हालात बेहद विषम थे। क्म्प्यूटर का ध्वस्त होना मतलब पावर ग्रिड फेल हो जाना। बैंक सेवाएं बाधित होना। बिक्री और उत्पादन न होने के कारण व्यवसाय चौपट हो जाना। अर्थात अर्थव्यवस्था ही गिर जाना। उस समय तक भारत में इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियां शुरू हो चुकी थी। इसके अलावा भारत जैसा सस्ता श्रम और तेज दिमाग दुनिया में कहीं नहीं था। एक अनुमान के मुताबिक इस बग को ठीक करने में विश्व भर को 600 से 1,600 बिलियन यूएस डॉलर्स खर्च करने पड़े थे। तब भारतीय वैज्ञानिकों ने सामने आकर इस संकट का खात्मा किया दुनिया भर में अपनी ताकत का लोहा मनवाया था, जिसके बाद विदेशों में भारतीय कम्प्यूटर इंजीनियर्स की मांग तेजी से बढ़ी।

भारत ने दुनिया की इतनी बडी समस्या को सुलझाया | और आज भी भारत कोरोना के संकट पर भी मात कर सकता है, दुनिया को दिशा दे सकता है | इसलिये प्रधानमंत्री मोदी ने देश का मनोबल बढाने के लिये इस संकट का उदाहरण दिया | भारत की इस उपलब्धि को पुन: याद किया | सारे विकसित देशों को जब भारत इस तरह की दिशा दिखा सकता है, तो आज भी भारत इस संकट का सामना कर सकता है | Y2K बग का समाधान भारत ने देश को दिया हुआ एक वरदान है |

- निहारिका पोल सर्वटे