ये पंगा देखना तो बनता है..

    17-Feb-2020   
|

कंगना रणावत हर बार उनकी हटके फिल्म और बोल्ड अंदाज से दर्शकों को ‘भई वाह’ बोलने पर मजबूर कर देती हैं | हाल ही में उनकी फिल्म ‘पंगा’ आई है | और यह पंगा देखना तो बनता है भई | ये कहानी है जया निगम की | जो एक समय में भारतीय महिला कबड्डी संघ की नॅशनल कॅप्टन रह चुकी हैं | लेकिन अब रेल्वे में जॉब करने वाली एक घरेलू महिला हैं, जिसका ७ साल का बेटा है, और जो अब बेटे और पती में खोई हुई है | लेकिन उसके अंदर की खिलाडी उसे शांत नहीं बैठने देती |


panga_1  H x W:


कहानी शुरु होती है आधी रात में नींद में जया अपने पती प्रशांत को किक करते हुए | इस एक सीन से ही समझ आ जाता है कि भले ही जया अपनी घरेलू जिंदगी में व्यस्त हो गयी हो, लेकिन आज भी उमें कबड्डी बसती है | वह अपने आप से कबड्डी को और कबड्डी से अपने आप को दूर नहीं कर सकती | कहानी धीरे धीरे आगे बढती जाती है और कुछ ऐसा होता है जिससे जया का बेटा आदी उसे वापस कबड्डी में ‘कम बॅक’ करने को कहता है, और जया में वो सोयी हुई चाहत वापस जाग जाती है | ‘देश के लिये कबड्डी खेलने की’, कबड्डी के क्षेत्र में फिर एक बार नाम कमाने की |


फिल्म का एक डायलॉग भीषण परिस्थिती का बखान कर जाता है, “कबड्डी वालों को कौन पहचानता है?” सही तो कहा है इस फिल्म में जया ने | आज हम क्रिकेट की बात करें तो ढेरों नाम निकल आएँगे | बॅडमिंटन और टेनिस भी आज सानिया नेहवाल, महेश भूपती, लिएंडर पेस और सानिया मिर्जा, पीव्ही सिंधू के कारण प्रसिद्ध हो गया है | कुश्ती को भी दंगल जैसी मूव्ही के कारण और फोगाट परिवार के कारण पहचान मिली है | हॉकी भी थोडा बहुत प्रसिद्ध है ही, लेकिन कबड्डी? क्या हम किसी भी प्रसिद्ध कबड्डी प्लेअर का नाम जानते हैं ? महिला टीम का नंबर तो प्रसिद्धी के क्षेत्र में और भी पीछे आता है | ऐसे में पंगा मूव्ही के कारण इस खेल के प्रति जागरुकता निर्माण हुई है | कबड्डी को भी और खास कर महिलाओं के कबड्डी के खेल को प्रधानता मिली है | जो अपने आप में काबिल - ए - तारीफ है |

कंगना की फिल्मों की चॉईस हमेशा से ही हटके रही है | फिर वह क्वीन को, तनु वेड्स मनु हो या अब ये ‘पंगा’ हो | और मानना पडेगा ये हटके फिल्में और उसमें कमगना की अदाकारी सभी को बहुत पसंद आती है | ये फिल्म भी महिला प्रधान है | और इसमें एक महत्वपूर्ण मुद्दे को अधोरेखित किया गया है |

फिल्म में कंगना के साथ ही प्रशांत की भूमिका निभाने वाले जस्सी गिल, मीनू का किरदार निभाने वाली रिचा चड्ढा और आदि की भूमिका में यज्ञ भसीन साथ ही जया की माँ के किरदान में नीना गुप्ता इन्होंने उम्दा काम किया है | खासकर नन्हे यज्ञ ने | उनकी संवाद बोलने की शैली बहुत ही नैचुरल है | आप उनके संवाद पर हँसे और मुस्कुराए बिना नहीं रह सकते |



फिल्म का संगीत और निर्देशन भी अच्छा है | निखिल मेहरोत्रा और अश्विनी अय्यर तिवारी ने फिल्म लिखी बहुत ही अच्छी है और निर्देशन भी अच्छा है लेकिन कहीं कहीं फिल्म थोडी स्लो लगती है |


अक्सर देखा गया है शादी के बाद करिअर के नजरिए से लडकियों की जिंदगी ज्यादा बदलती है | आप माने या ना माने सच्चाई यही है | इस कहानी से कयी शादीशुदा महिलाएँ, लडकियाँ कनेक्ट कर सकती हैं | लेकिन जिदंगी सभी को एक और मौका देती है, जरूरत है जया की तरह उसे पहचानने की और उस मौके पर चौका मारने की |

- निहारिका पोल सर्वटे