क्या आपने कभी देखा है, ‘धातु का आईना’ ?

08 Oct 2020 14:12:11

जब भी बात आईने की होती है, तो हमारे सामने आता है, काँच का आईना | शीशा है, तो काँच का ही होगा, ऐसी साधारण संकल्पना है | लेकिन क्या आपने कभी ‘धातु’ के आईने के बारे में सुना है ? भारत ने जिस तरह पूरे विश्व को कई प्रकार की भेंट दी है, उन्हीं में से एक है यह धातु का आईना | जान कर आपको भी हैरानी होगी |


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प्रशांत पोल लिखित ‘भारतीय ज्ञान का खजाना’ इस पुस्तक के अनुसार केरल के दक्षिण में स्थित एक कस्बे ‘अरणमुला’ का एक आईना बहुत अधिक प्रसिद्ध है | इसे वहाँ ‘अरणुला कान्नडी’ कहा जाता है, कान्नडी अर्थात ‘आईना’ | आम तौर पर काँच पर सिल्व्हर नाईट्रेट और सोडियम हाइड्रॉक्साइड के द्रवरूप मिश्रण में चुटकीभर शक्कर डालकर इसकी एक परत काँच पर चढाई जाती है, जिससे आईना बनता है | काँच में पारा लगाकर आईना बनाने की खोज जर्मनी में हुई, लेकिन इसके भी पहले भारत में आईने बनाए जाते थे, जो कि धातु से बनते थे | 
अरणमुला के आईने एकदम, चिकने, पारदर्शी और साफ सुस्पष्ट दिखने वाले होते हैं | ऐसे आईने पूरे विश्व में कहीं देखने को नहीं मिलते | यह आईने मिश्र धातु से बनाए जाते हैं, लेकिन इन आईनों में कौन सी धातु किस अनुपात में मिलाी जाती है, इस विषय में जानकारी आज भी किसी को ज्ञात नहीं है |

मजे की बात यह है कि, लंदन के ब्रिटीश संग्रहालय में पैंतालीस इंच का विशालकाय ‘अरणमुला कान्नडी’ रखा हुआ है, जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है | (Source : भारतीय ज्ञान का खजाना)

क्या आप जानते थे इस धातु के खजाने के बारे में ? 

भारत में आज भी ऐसी कई संस्थाएँ हैं, जो भारत के इस ज्ञान के बारे में लोगों तक जानकारी पँहुचाने का काम कर रही हैं | विज्ञान भारती भी इन्हीं संस्थाओं में से एक है | इस संस्था द्वारा आयोजित प्रतियोगिया विद्यार्थी विज्ञान मंथन में प्रतियोगियों से भारतीय विज्ञान पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं, इस प्रतियोगिता परीक्षा के पाठ्यक्रम में विशेष रूप से भारतीय विज्ञान संबंधी विषयों का समावेश किया गया है, जिससे अधिकाधिक लोगों तक भारत के विज्ञान संबंधी जानकारी पँहुच सके |



इस प्रतियोगिता के लिये रजिस्ट्रेशन प्रारंभ है, रजिस्टर करने की अंतिम तारीख १५ अक्टूबर है | छठवीं से ग्यारहवीं कक्षा तक के विद्यार्थी इस प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकते हैं |

भारत के विज्ञान शास्त्र संबंधी ऐसी अनेक Interesting जानकारियाँ लेकर हम आ रहे हैं, तो पढना ना भूलें !!!

 


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