एपीजे अब्दुल कलाम : रचनात्मक शिक्षा के मुखर प्रवक्ता

१५ अक्तूबर को हम समूचे देश के आदर्श भारतरत्न श्री अवुल पाकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम अर्थात एपीजे अब्दुल कलाम जी की जयंती मना रहे हैं |

    14-Oct-2021
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प्रसिद्ध आयरिश कवी डब्ल्यू.बी. येट्स ने कहा है - “शिक्षा केवल एक सीमित पात्र को पानी से भरना नहीं है, वरन शिक्षा एक ऐसी अविरत ज्वाला है जिसकी रौशनी आपके जीवन को प्रकाश से भर दे |” उनका यह रोचक ख्याल हमें इन शब्दों में छिपी अनकही पर भी विचार करने के लिए उद्युक्त करता है | उनका कहने का अर्थ शायद यह रहा होगा, कि शिक्षा केवल ज्ञान की कुछ बूँदे नहीं हैं, जो बच्चे पाठशाला में जाकर विविध विषयों का अध्ययन कर प्राप्त करते हैं, बल्कि शिक्षा तो बच्चों का माचिस की तीलियों के साथ खेला जाने वाला वह खेल है, जिसे बच्चे पूरी श्रद्धा से और मन लगाकर खेलते हैं| जिसमें जोखिम तो होता ही है, मगर यह भी पता होता है कि, यदि कुछ चीजों में आग लग भी जाए, तो भी यह तेजस्वी आग की लपटें पूरे जीवन साथ प्रकाशित करेंगी और धीरे-धीरे आपकी रुचि को उजागर करती जाएँगी |


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जब भी आप किसी बच्चे से पूछते हैं कि, उसे बड़ा होकर क्या बनना है ? तो आपको जवाब मिलता है - इंजीनिअर, डॉक्टर, फायरमॅन, पायलट, अंतरिक्ष यात्री आदि | लेकिन वास्तव में कितने बच्चे यह जानते हैं कि वे सचमुच में क्या बनना चाहते हैं ? और आगे चलकर ऐसा क्या हो जाता है कि कुछ विषयों में वे अपनी रुचि पूर्णत: खो देते हैं, यहाँ तक उन विषयों में भी जिनमें उनकी खास दिलचस्पी हुआ करती थी ? सोचने वाली बात है कि इसके पीछे क्या कारण है ? शिक्षा के साधन ? माध्यम या फिर मुख्यतः स्वयं शिक्षा प्रणाली ही ?

पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि, बच्चों की प्रतिभा की पहचान की जानी चाहिये, और उसे विकसित करने के लिये उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाना चाहिये, ताकि नये विचारों से परिपूर्ण पीढ़ी का निर्माण हो सके | उनका यह कहना रहा है कि, “बच्चों में रचनात्मकता , कल्पनाशीलता एवं अभिनव विचारशीलता की तीव्र क्षमता स्वाभाविक तौर पर होती है, परन्तु उम्र के साथ-साथ यह धीरे धीरे कम होती जाती है | कलाम हमेशा ही शिक्षा के क्षेत्र में रचनात्मकता पर जोर देते थे | उनका मानना था यदि आप औरों से अलग बनना चाहते हैं, तो आपके सोचने का तरीका भी अलग होना चाहिये | वे कहते हैं, “रचनात्मकता एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जिससे हम अपनी कल्पनाओं का निरंतर विकास कर सकते हैं | क्रमिक परिवर्तन के जरिए ही ही हम अपने विचारों में निरंतर सुधार ला सकते हैं और किसी अनन्य सुलझाव पर आ सकते हैं | रचनात्मकता का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि, किसी भी बात की ओर भले हम उसी तरह देखें जैसा सब देखते हैं, लेकिन उसके बारे में हमारे सोचने का तरीका अलग होना चाहिए |


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१५ अक्तूबर को हम समूचे देश के आदर्श भारतरत्न श्री अवुल पाकीर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम अर्थात एपीजे अब्दुल कलाम जी की जयंती मना रहे हैं | उनके विचार और खासकर युवा और विज्ञान के क्षेत्र में उनकी असीम रुचि हम सभी के लिये प्रेरणादायी है | एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म एक नाविक परिवार में हुआ | अपने भाई बहनों में वह सबसे छोटे थे और अक्सर अपने पिता के साथ हमेशा नाव पर जाया करते थे | जब नाव बनाने में वह अपने पिता की मदद करते, बडे बडे लकडी के टुकड़ों को नाव में परिवर्तित होते हुए ध्यान से देखते | किसने सोचा था कि एक दिन यह बच्चा नाव नहीं, देश के लिये मिसाइल और रॉकेट बना रहा होगा | शहर में काम कर लौटे हुए उनके चचेरे भाई जब- जब भी वहाँ देखे हुए विविध नए आविष्कारों, साहित्य और विज्ञान की बात करते, तब –तब अब्दुल कलाम के मन में इन सभी के क्षेत्रों के बारे में उत्सुकता और रुचि और भी बढ़ती जाती |

कहते हैं रचनात्मकता आपको विचार करने पर प्रवृत्त करती है, आपके विचार आपको ज्ञान की ओर ले जाते हैं, और ज्ञान आपको महान बनाता है | एपीजे अब्दुल कलाम ने इस रचनात्मकता का परिचय अपने कई भाषणों में दिया है, और कई ऐसे उदाहरण भी बताए हैं, जिनका अनुभव उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में लिया | वे स्वयं एक बहुत अच्छे विद्यार्थी थे और उनके मन में हमेशा ही उत्सुकता होती है कि आखिर कोई घटना होती है तो क्यों होती है ? बचपन की एक घटना ने उनके उत्सुक मस्तिष्क पर बहुत बडी छाप छोडी| एक दिन उनके एक शिक्षक सिवा सुब्रमणियम अय्यर उनकी कक्षा को समुद्र किनारे ले गए और उन्होंने बच्चों को उडते हुए पंछियों को देखने के लिये कहा | पंछियों के उडने के बारे में उन्होंने सैद्धांतिक उदाहरण देते हुए उस उदाहरण को वास्तविकता से भी जोडा | इस घटना ने एपीजे अब्दुल कलाम के मन पर गहरी छाप छोडी | उन्होंने उसी दिन ठान लिया था कि उन्हें भी बड़ी उडान भरनी है , पायलट बनना है | उनका पायलट बनने का सपना तो पूरा नहीं हो सका लेकिन उन्होंने “अग्नि पंखों” से इस दुनिया में बहुत ऊँची उडान भरी, और कभी पीछे मुड कर नहीं देखा |

एक शिक्षक के लिये जिस तरह पढ़ाने का जोश आवश्यक है, उसी तरह बच्चों के रचनात्मक और कल्पनात्मक मस्तिष्कों के पोषण का जज्बा होना भी आवश्यक है| अध्यापकों के साथ-साथ जरूरी है कि अभिभावक भी बच्चों की प्रतिभा पहचानें और अच्छे भविष्य के लिये उन्हें मार्क्स और परीक्षा से हटकर परे सोचने के लिए प्रेरित करें | | बच्चों को एक ऐसे वातावरण की आवश्यकता होती है, जिसमें वे नई खोज करने के लिये प्रोत्साहित हो सकें, प्रयोग कर सकें, और उनके कार्य में उत्कृष्टता लाने के लिये यह वातावरण पोषक होना आवश्यक है | यही वातावरण विज्ञान भारती और विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित विद्यार्थी विज्ञान मंथन २०२१ में विद्यार्थियों को मिलेगा | इस परीक्षा के माध्यम से उसकी अभूतपूर्व तकनीकों द्वारा विद्यार्थियों के उत्सुक स्वभाव को प्रोत्साहन मिलेगा |

विज्ञान भारती (विभा) दिल्ली, भारत में स्थित एक संगठन है। विज्ञान भारती (विभा) द्वारा संचलित कार्य आम जनता खासकर बच्चों के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार और प्रसार के हेतु एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन है। प्राचीन एवं वर्तमान भारत के वैज्ञानिक जगत में योगदान को विज्ञान भारती हमेशा ही उजागर करता आया है | यह देश का सबसे बडा विज्ञान संगठन है, जिसकी व्याप्ति देश भर में राज्य स्तरीय इकाईयों एवं संयुक्त विज्ञान संस्थाओं द्वारा बनी हुई है |


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विज्ञान प्रसार और एनसीईआरटी के साथ मिलकर विज्ञान भारती हर साल एक राष्ट्रव्यापी परीक्षा “विद्यार्थी विज्ञान मंथन” का आयोजन करता है | यह परीक्षा शालेय विद्यार्थियों के लिये एक बहुत बडा असवर है| वैज्ञानिक सोच के विकास, विज्ञान संबंधी ज्ञानवृद्धि के साथ-साथ विज्ञान क्षेत्र के नित्य नये अवसरों को प्राप्त करने का और विज्ञान क्षेत्र के जानकारों से ज्ञानार्जन करने का भी मौका “विद्यार्थी विज्ञान मंथन” छात्रों को देता है | विद्यार्थियों के उत्सुकता भरे स्वभाव को ध्यान में रखते हुए, कार्यक्रम का प्रारूप बनाया गया है जिससे उनका ध्यान तुरंत आकर्षित किया जा सके और भविष्य को संवारा जा सके | विज्ञान गतिविधियों से संबंधित विभिन्न कार्यशालाओं, शिविरों, प्रशिक्षणों और इंटर्नशिप को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है। (वीवीएम 2021-22 के लिए 31 अक्टूबर 2021 से पहले www.vvm.org.in पर रजिस्टर करें)

विज्ञान संबंधी वैश्विक विचारों और भारतीय वैज्ञानिकों के विज्ञान क्षेत्र में योगदान को एक साथ प्रदर्शित करते हुए, विज्ञान भारती ने संपूर्ण विश्व के विज्ञान को एक साथ जोडा है | विविध दृष्टीकोन सामने लाकर इस परीक्षा का उद्येश्य ना केवल बच्चों में विज्ञान संबंधी ज्ञानवर्धन करना है, बल्कि बच्चों की जिज्ञासा को बढाना भी है | शिक्षकों, विशेषज्ञों और विज्ञान प्रेमियों को एक ही मंच पर लाते हुए विज्ञान को समझने वालों, विज्ञान पढ़ाने वालों और विज्ञान को संप्रेषित करने वालों के साथ विज्ञान सीखने की इच्छा रखने वालों के बीच की दूरी की कम करना ही इसका प्रमुख उद्देश्य है |

जिस तरह से डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने विज्ञान को सामान्य जनता और बच्चों तक पँहुचाया है, आज तक वैसा कोई और नहीं कर पाया | विद्यार्थी विज्ञान मंथन डॉक्टर कलाम की रचनात्मक शिक्षा की सोच पर विश्वास रखता है और इसी लिये विद्यार्थियों को हटकर सोचने पर या अलग नजरिए से विषय-विचार करने पर जोर देता है | पाठ्यक्रम के साथ-साथ जिज्ञासा, आलोचनात्मक सोच, गहरी समझ और रचनात्मक विचार-मंथन को प्रोत्साहित करके विशेषज्ञों की बातचीत, और नवाचार के अवसर प्रदान करना विद्यार्थी विज्ञान मंथन का प्रमुख उद्येश्य है । विज्ञान और युवा राष्ट्र के विकास के दो स्तंभ हैं और वीवीएम का उद्देश्य उन्हें आपस में जोड़कर एक ठोस आधार तैयार करना है।