ये कैसा दोगलापन ?

    09-Sep-2020   
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कल से सोशल मीडिया पर आपने एक पोस्ट बहुत बार देखी होगी | वो पोस्ट थी “Roses are red, violets are blue lets’s Let’s smash the patriarchy me and you !!!” और उसके आगे लिखा था #JusticeforRhea | अगर मैं आपको नाम गिनाऊं तो कई निकलेंगे जैसे कि विद्या बालन, तापसी पन्नू, स्वरा भास्कर, सोनम कपूर, अभय देओल, राजीव लक्ष्मण, श्वेता बच्चन नंदा, अनुराग कश्यप, फरहान अख्तर, शिबानी दांडेकर इत्यादि | अब आप इनमें से सभी के सोशल मीडिया अकाउंट पर जाकर देख सकते हैं, पिछले ३ महीने से चल रहे सुशांत सिंह राजपूत के केस पर किसी ने #JusticeforSushant के लिये कोई पोस्ट नहीं डाला| क्या यह दोगलापन नहीं ? क्या यह फिल्म इंडस्ट्री का सच्चा आईना नहीं दिखाता ?


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अब बात करते हैं सुशांत के लिये किये गए पोस्ट्स की | आधे से ज्यादा फिल्म इंडस्ट्री मुँह में दही जमाए चुप बैठी है | किसी ने भी सुशांत को न्याय दिलवाने के लिये एक पोस्ट तक नहीं डाला, उन्होंने भी नहीं जिन्होंने उसके साथ काम किया है | ऐसे में यह प्रश्न उठना जायज है कि फिर पूरी फिल्म इंडस्ट्री झूठे फेमिनिझम का नाम लेकर ऐसे कैसे सामने आकर पोस्ट्स और पोस्टर्स डालने लगी ? यह पोस्टर गँग तब क्यों नहीं आया जब सुशांत के लिये इसकी सच में आवश्यकता थी ?



आगे बात करते हैं फेमिनिझम की | तो रिया के साथ हो रहे बर्ताव पर इन्हें फेमिनिझम की याद आती है | लेकिन रिया और शौविक द्वारा यह कबूलने पर कि रिया के कहने पर ड्रग्स लाए जाते थे, और सुशांत को ड्रग्स दिये जाते थे, किसी ने यह सवाल नहीं उठाय़ा कि ड्रग्स लेना या देना एक अवैध काम है, और यह गलत है, तो फिर यह पुरुषसत्ताक पद्धती खत्म करने की बात कहाँ से उठती है ? केवल वे एक लडकी हैं इसलिये अवैध काम के लिये क्या उनके साथ अलग बर्ताव किया जाना चाहिये ? या फिर इनका फेमिनिझम लडकियों के ड्रग्स लेने और देने का समर्थन करता है, क्यों कि “Why Should Boys have all the fun?” और अगर इन सभी की ऐसी मानसिकता है, तो फिर देश और मुंबई दोनों सच में खतरे में है | क्यों कि ऐसी मानसिकता वाले लोग जिनका प्रभाव देश की एक बडी मात्रा की जनसंख्या पर है, वे हमारी और हमारे बाद वाली पिढी पर क्या असर छोडोंगे ? ऐसे एक नहीं कई प्रश्न उपस्थित होते हैं, जो इस दोगली मानसिकता को दिखाते हैं |



आज मुंबई में कंगना रणौत के ऑफिस को बीएमसी के आदेश पर गिराया गया | यह किसी कानूनी कारवाई के तहत नहीं तो बदले की भावना से अधिक किया गया है, यह तो सभी के सामने है | लेकिन कल जो लोग रिया के साथ हुए बर्ताव पर सवाल उठा रहे थे, वे आज कंगना के साथ हुए इस भेदभाव और अन्याय पर चुप क्यों हैं ? क्या यह पेट्रियार्की नहीं है ?

आज जब पूरा देश जानना चाहता है कि सुशांत की मृत्यु आखिर हुई कैसे, इसके पीछे कौन था ? तब फिल्म इंडस्ट्री अपना घिनौना चेहरा दुनिया के सामने लाते हुए अपनी दोगली मानसिकता दिखा रही है | आप स्वयं ही तय कीजिये क्या आप अब भी इनकी फिल्में देखना चाहेंगे ? और यदि हाँ तो क्या आपको यह दोगलापन मंजूर है ? हमें कमेंट्स में अवश्य बताएँ |

सुशांत को न्याय जब मिलेगा जब मिलेगा, लेकिन देश की जनता जो इस दोगलेपन को देख रही है और जो ऐसे दोगलेपन को झेल रहा है, उसे पहले न्याय मिलना चाहिये |

- निहारिका पोळ सर्वटे