शिक्षक, गुरु और भारतीय परम्परा

    05-Sep-2020   
|
भारत में गुरु-शिष्य परम्प
 
भारत केवल एक राष्ट्र या संस्कृति नहीं, भारत एक जीवन-पद्धति है। यहाँ ईश्वर द्वारा बनाई सृष्टि को सजीव और निर्जीव नहीं बल्कि चर तथा अचर में बाँटा जाता है। यह ऐसी जीवन-पद्धति है जहाँ सभी को झुककर नमन करने की परम्परा है, जहाँ मनुष्य, प्राणी और वस्तुओं तक का सन्मान किया जाता है। हम भारतीय, ईश्वर को सबसे ऊपर मानते है और उसकी अपार शक्ति के आगे नतमस्तक होते है लेकिन हमारी संस्कृति ने गुरु को सर्वोपरि माना है। हमारे कवियों, संतों ने गुरु की महिमा में कितने ही बखान किए है।
 
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।
 
संत कबीर का यह दोहा कहता है कि जब ईश्वर और गुरु दोनों एक साथ सामने आ जाए तो पहले किसे नमन करना उचित होगा? उत्तर है, पहले गुरु को नमन करना चाहिए क्योंकि यदि गुरु न होते तो शायद हम इस काबिल ही न बन पाते की ईश्वर हमारे सामने आए।
 
गुरु को सर्वोपरि स्थान देने की यह परम्परा बहुत पहले की है। आदि शंकराचार्य ने भी अपने गुरु को नमन करने के लिए इस स्तोत्र को कहा था -
 
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुःसाक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: ॥
 
यहाँ उन्होंने गुरु की तुलना ब्रम्हा, विष्णु और महादेव से; परमेश्वर से की है।
 
हालाँकि, आजकल हम में से अधिकतर ईश्वर या अध्यात्म को अपना लक्ष्य नहीं बनाते लेकिन इसका यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि हमें गुरु की आवश्यकता ही न हो। जीवन में आगे बढ़ने के लिए, न केवल स्कूली-पुस्तकी ज्ञान लेकिन मनुष्य के अंदर के गुणों को बाहर लाने के लिए और जीवन में सफलता के लिए भी गुरु की आवश्यकता होती है।
 
आजकल गुरु शब्द का संकुचित अर्थ वाला शब्द ‘शिक्षक’ मशहूर हो चला है। लेकिन क्या स्कूल या कॉलेज तक हमें पढ़ानेवाले लोगों तक ही इस शब्द को मर्यादित रखना सही है?
 
आज ‘शिक्षक दिवस’ के अवसर पर हम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को याद कर अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते है, स्कूलों में बच्चे अपने शिक्षकों की जगह खुद लेकर अन्य बच्चों को पढ़ाने का प्रयास करते है लेकिन क्या यह दिवस यहीं तक मर्यादित है? या परिभाषाएं बदलने की आवश्यकता है? शिक्षक को फिर एक बार गुरु बनाने की आवश्यकता है ताकि वे आनेवाली पीढ़ी को, यूंही बिखरी पड़ी मिट्टी को सुंदर घड़ों में बदल सके, न केवल राष्ट्र बल्कि मानवता को आगे बढ़ाने के लिए योगदान दे सकें!
 
आपके विचार हमें जरुर बताईयेगा, आप सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनयें!