क्या हिंदी को वो सम्मान वापस मिल सकेगा ? #हिंदी_दिवस

    14-Sep-2020   
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आज १४ सितंबर याने कि हिंदी दिवस | देश भर में हिंदी भाषा के प्रति प्रेम के लिये यह दिन जाना जाता है | और जाना जाना भी चाहिये, क्यों कि भारत की राजभाषा हिंदी का विशेष महत्व है, हिंदी साहित्य अपने आप में एक अनूठा खजाना है हमारे लिये | राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर, सुभद्रा कुमारी चौहान, घनानंद, सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, इत्यादि कवि हमारे लिये वरदान देकर गए हैं | लेकिन क्या हम ये वरदान संभाल पा रहे हैं ?



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आज हम किसी भी युवा को पूछें कि उन्हें रामधारी सिंह दिनकर या हरिवंश राय बच्चन जी की कितनी कविताएँ याद हैं ? गिने चुने युवा छोड दिये जाए तो अधिकतर का उत्तर क्या होगा ? क्या कोई दो से ज्यादा कविताएं सुना पाएगा ? आज कि स्थिती में देश में हिंदी में बोलने वाले को छोटा समझा जाता है, जिसकी हिंदी भाषा पर अच्छी खासी पकड है, उसे लोग छोटी दृष्टी से देखते हैं, और जो अस्खलित अंग्रेजी में बोलता है उसे सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है | दूरभाष पर भी हिंदी के लिये दो का बटन दबाना पडता है | हिंदी माध्यम में पढने वालों को कम और छोटा समझा जाता है, अंग्रेजी माध्यम में पढने वालों को बहुत ही सम्मान की दृष्टी से देखा जाता है |

नौकरी में भी अंग्रेजी आना आज की आवश्यकता बन गई है | पत्रकारिता के क्षेत्र में भी हिंदी अखबार में लिखने वाले पत्रकार और अंग्रेजी अखबार के लिये काम करने वाले पत्रकार के वेतन में जमीन आसमान का फरक होता है | आज नौकरी का साक्षात्कार भी अंग्रेजी में ही लिया जाता है | अंग्रेजी तो हमारी है भी नहीं, विदेश से आई है, लेकिन फिर भी उसे हिंदी से ज्यादा अपनापन आज मिलने लगा है | क्या यह हिंदी के साथ अन्याय नहीं ?

आज यदि हमें कुछ करना ही है तो हिंदी और अन्य स्थानिक भाषाओं के महत्व को बढाने के लिये अपना योगदान देना आवश्यक हो गया है | क्या कर सकते हैं हम ?

- अपनों से अपनी भाषा में बात करना प्रारंभ करें |

- बच्चों को अंग्रेजी का महत्व बताने से पहले हिंदी और मातृभाषा का महत्व बताएँ |

- जॉनी जॉनी यस पापा के पहले “उठो लाल अब आँखे खोलो” सिखाएँ |

- हिंदी कविताओं का पाठ, कविताओं को सुनना याद करना प्रारंभ करें |

- अधिक से अधिक किताबें हिंदी या अन्य मातृभाषा में पढें |

- अभिनेता जैसे कि, अमिताभ बच्चन, आशुतोष राणा, मनोज बाजपेयी, पंकज त्रिपाठी इनके साक्षात्कार, व्हिडियोज केवल इनकी भाषा के लिये, इनकी उच्च कोटी की हिंदी के लिये सुनें |

- आदत ऐसी डालें, कि पहला ध्यान हिंदी और अन्य मातृभाषा पर हो, और अंग्रेजी को आवश्यकता के तौर पर सीखा जाए |





ऐसा किया तो और तो ही हम हिंदी का खोया सम्मान उसे लौटा पाएँगे | अन्याथा, वह दिन दूर नहीं जब माँ पिताजी मॉम, डॅड ही बन जाएँ, और हिंदी कविताओं और साहित्य का खजाना हमसे दूर कहीं खो जाएगा |


- निहारिका पोल सर्वटे