राम काज किनु बिनु मोही कहाँ विश्राम : प्रधानमंत्री मोदी

    05-Aug-2020
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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों अयोध्या में राममंदिर का भूमि पूजन संपन्न हुआ | पूरे देश का ये सपना था कि ये मंदिर जल्द बने आखिरकार इतने वर्षों के संघर्ष के बाद लगभग ५०० सालों के बाद आखिरकार रामलला फिर एक बार अपने जन्मस्थल पर विराजमान होने जा रहे हैं | इस पावन अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया |


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वे कहते हैं, “राम काज किनु बिनु मोही कहाँ विश्राम” | आईये देखते हैं उनके भाषण के कुछ क्षण :

भारत आज भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयु के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है | सदियों का इंतेजार आज समाप्त हो रहा है | करोडो लोगों को आज विश्वास ही नहीं हो रहा है कि वे आज अपेन जीते जी इस पावन पर्व के साक्षी हो रहे हैं | बरसों से टेंट के नीचे रहे हमारे राम लाल के लिये अब एक भव्य मंदिर का निर्माण होगा | टूटना और फिर उठ खडा होना, सदियों से चल रहे अस व्यतिक्रम से राजन्मभूमी आज मुक्त हुई है | पहले स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई कई पीढियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था | गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिये आंदोलन न चला हो | देश का कोई भूभाग ऐसा न था, जहाँ आंदोलन के लिये अपना बलिदान न दिया गया हो | १५ अगस्त का दिन उस बलिदान उस भावना के प्रति संवेदना का प्रतीक है | ठीक उसी तरह राम मंदिर के लिये कई कई सदियों तक कई कई पीढियों ने अखंड अविरत एकनिष्ठ प्रयास किया है | आज का ये दिन उसी तप, प्यार और संकल्प का प्रतीक है | राम मंदिर के लिये चले आंदोलन में अर्पण भी था, तर्पण भी था | संघर्ष भी था, संकल्प भी था | जिनके त्याग बलिदान और संघर्ष से आज यह स्वप्न साकार हो रहा है, जिनकी तपस्या राममंदिर में नींव की तरह जुडी हुई हैं, मैं उन सब लोगों को १३० करोड देशवासियों की तरफ से सर झुकाकर के नमन करता हूँ | उनका वंदन करता हूँ, संपूर्ण सृष्टी की शक्तियाँ राम जन्मभूमी के पवित्र आंदोलन से जुडा हर व्यक्तित्व जो जहां है इस आयोजन को देख रहा है, वो भाव विभोर है सभी को आशीर्वाद दे रहा है, साथियों राम हमारे मन में गढे हुए हैं, हमारे भीतर घुल गये हैं | कोई काम करना हो तो प्रेरणा के लिये हम भगवान राम के ओर ही देखते हैं, आप भगवान राम की अदभुत शक्तियें देखिये, आप देखिये क्या कुछ नहीं हुआ अस्तित्व मिटाने का बहुत प्रयास हुआ, लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे हुए हैं. हमारी संस्कृति के आधार हैं, श्री राम भारत की मर्यादा है, श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं | इसी आलोक में अयोध्या में रामजन्मभूमी पर श्री राम के अस भव्य दिव्य मंदिर के लिये भूमी पूजन हुआ है | यहाँ आने से पहले मैंने हनुमान गढी का दर्शन किया, राम के सब काम हनुमान ही तो करते हैं | राम के आदर्शों की कलियुग में रक्षा करने की जिम्मेदारी हनुमान जी की ही है | श्री राम का मंदिर हमारी संस्कृति का आधुनिक प्रतीक बनेगा | हमारी शाश्वत आस्था का प्रतीक बनेगा | हमारी राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बनेगा | और ये मंदिर करोंडों करोड लोगों की सामूहिक संकल्प शक्ति का भी प्रतीक बनेगा | ये मंदिर आने वाली पीढियों को आस्था श्रद्धा और संकल्प की प्रेरणा देता रहेगा |


इस मंदिर के बनने के बाद अयोध्या की सिर्फ भव्यता ही नहीं बढेगी, इस क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र ही बदल जाएगा, यहाँ इस क्षेत्र में नये अवसर बनेंगे, हर क्षेत्र में अवसर बढेंगे, सोचिये पूरी दुनिया से लोग यहाँ आएँगे, पूरी दुनिया प्रभु राम और माता जानकी का दर्शन करने आयेगी | राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया राष्ट्र को जोडने की एक प्रक्रिया है | यह प्रक्रिया है वर्तमान को अतीत से जोडने की, स्व को संस्कार से जोडने की | आज के इस ऐतिहासिक पल युगों युगों तक दिग दिगंत तक भारत की कीर्ती पताका फहराते रहेंगे | आज का ये दिन करोडों रामभक्तों की सत्यता का परिमाण है, आज का ये दिन सत्य अहिंसा और आस्था और बलिदान को न्याय प्रिय भारत की एक अनुपम भेंट है | कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमिपूजन का ये कारण अनेक मर्यादाओं में हो रहा है | श्रीराम के संदर्भ में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिये, वैसा हमे आज भी किया है, तब भी किया था जब सर्वोच्च न्यायालय ने यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, कैसे सभी देशवासियों नें सभी की भावनाओं का ध्यान रखते हुए मर्यादा में आनंद मनाया था | इस मंदिर के निर्माण के कारण सिर्फ नया इतिहास ही नहीं रचा जा रहा तो इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है, जिस तरह गिलहरी से केवट तक और वनवासी नागरिकों तक सभी की भूमिका थी, जिस तरह गरीब पिछडे विदेशी आक्रांताओं के साथ महाराजा सोहेल देव के संबल बने, जिस तरह मावळों का योगदान रहा स्वराज्य के निर्माण में, उसी तरह आज देश भर के लोगों के सहयोग से राम मंदिर निर्माण का ये पुण्य कार्य प्रारंभ हुआ है |

हम जानते हैं, जैसे पत्थरों पर श्रीराम लिख कर राम सेतु बनाया गया, वैसे ही घर घर से, गांव गांव से श्रद्धा पूर्व पूजी शिलायें यहाँ उर्जा का स्त्रोत बन गई हैं | देश भर के धामों और मंदिरों से लाई मिट्टी वहाँ के लोग संस्कृति और भावनाएँ यहाँ की बन गई हैं | वाकई ये न भूतो न भविष्यति है | साथियों श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान, क्षमा में पृथ्वी के तुल्य, बुद्धी में बृहस्पति के समक्ष और यश में इंद्र के समान माना गया है | श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है, वो है सत्य पर अडिग रहना, इसलिये श्रीराम संपूर्ण हैं | इसलिये ही वो हजारों वर्षों से भारत के लिये प्रकाश स्तंभ बने हुए हैं, श्रीराम नें सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधारशिला बनाया था, उन्होंने गरु वशिष्ठ से ज्ञान , शबरी से प्रेम, और प्रजा से विश्वास प्राप्त किया, यहाँ तक की एक गिलहरी की महत्ता को भी उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया | तुलसी के राम सगुण राम हैं, तो नानक और कबीर के राम निर्गुण राम हैं | आज का ये दिन इतिहास में सुवर्ण अक्षरों से लिखा जाने वाला दिन है |”

आज संपूर्ण भारत में राममंदिर के भूमिपूजन पर खुशियाँ मनाईं जा रहीं हैं | कोरोना के इस भयवाले वातावरण में पहली बार देश में आनंद का वातावरण छाया हुआ है |