सामाजिक समस्या सुलझाने का अलग नजरिया: जानिए १७ वर्षीय सिद्धार्थ मंडला से!

    18-Aug-2020   
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Siddharth Mandala_1 
 
वर्ष था २०१२, १६ दिसंबर की रात को दिल्ली में एक ऐसी अमानवीय घटना घटी जिससे आज भी सबका दिल दहल जाता है। ‘निर्भया’ केस में देश के हर हिस्से, हर व्यक्ति से प्रतिक्रियाएं आई। किसी ने बलात्कार के कानूनों को सख्त करने की मांग की, किसी ने बलात्कार की सजा उम्रकैद से बदलकर फांसी रखने की मांग की। हर तरफ महिलाओं की सुरक्षितता पर चर्चाएं होने लगी। लोगों की इन प्रतिक्रियाओं का परिणाम हमने देखा, लेकिन फिर भी ऐसी अघृण घटनाओं पर पूरी तरह रोक नहीं लग पायी है। ऐसे में, हैदराबाद के १७ वर्षीय लड़के ने कुछ अलग कर दिखाया है।
 
१२ वर्ष के सिद्धार्थ ने अपनी माँ के साथ ‘निर्भया’ को इंसाफ दिलाने की रैलीयों में हिस्सा लिया था। ऐसी घटनाओं के बढ़ते आंकड़े, समाज का पीड़ितों को देखने का नजरिया और अत्यंत धीमी गति से बढ़ती न्यायव्यवस्था; सिद्धार्थ के मन को कचोट रहे थे। इसी दौरान उसने अपने भौतिकी शास्त्र के क्लास में ‘Piezoelectric Effect’ के बारे में पढ़ा और उसे अपने चिंता और महिलाओं की सुरक्षा का हल मिल गया।
हैदराबाद के १५ वर्षीय सिद्धार्थ मंडला ने सोशल मीडिया, LinkedIn आदि से ऐसे लोगों की खोज की जो उसे मदद कर सके। उसने अलग-अलग प्रयोग किए, गिरकर उठने और उठकर गिरने का काफी लंबा दौर चला। इस बीच उसे कुछ बार इलेक्ट्रिक के झटके भी लगे, लेकिन सिद्धार्थ हार मानने वालों में से नहीं था। सत्रह बार असफलता पाकर सिद्धार्थ ने अठारहवीं बार फिर से शुरुवात की और आखिर सफलता ने उसके कदम चूमे। सिद्धार्थ ने कुछ अनोखा कर दिखाया!
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सिद्धार्थ का अविष्कार है ‘इलेक्ट्रिक शू’। सिद्धार्थ कहता है कि ‘हर कोई आत्मरक्षा के क्लासेज नहीं लगा सकता, और ऐसा भी हो सकता है कि कोई पेप्पर स्प्रे रखन भूल जाए, लेकिन हम जूते-चप्पल पहनना कभी नहीं भूलते, इसलिए मैंने जूतों को ही सुरक्षा का जरिया बनाने की तरकीब लगाई।” सिद्धार्थ मंडला के इलेक्ट्रिक शू पहनकर आप जितना चलेंगे, वह उतने ही चार्ज होंगे और संकट के समय में इसके इस्तेमाल से आप सामनेवाले को मुंह के बल गिरा सकते है या बेहोश तक कर सकते है।
सिद्धार्थ मंडला अपने इस अविष्कार को पेटेंट करना चाहते है और उसी प्रक्रिया में है। इसके बाद यह ‘इलेक्ट्रिक शू’ बाजार में उपलब्ध होंगे। आजकल जहाँ हर घटना को केवल चर्चाओं और उग्र प्रतिक्रियाओं का जरिया बना लिया जाता है, घटना का फायदा उठाकर समस्या सुलझाने की जगह केवल अपने स्वार्थ के लिए लोगों को उकसाया जाता है, ऐसे में, एक युवा द्वारा इस प्रकार के कदम उठाना प्रेरणादायी है!