नहीं रहे राहत इंदौरी.....

    11-Aug-2020   
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Rahat Indori no more_1&nb 

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था,

मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था।

 

.....रविवार को इंदौर के श्री अरबिंदो अस्पताल में भर्ती होने के बाद आज कवि राहत इंदौरी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। सोशल मीडिया पर हमेशा एक्टिव रहनेवाले राहत इंदौरीजी ने अपने फॉलोवर्स को ट्वीटर के माध्यम से अपने सेहत की खबर दी थी। उनके डॉक्टरों का कहना है कि उनकी रिपोर्ट आने के पश्चात् सोमवार को उन्हें दो बार दिल के दोहरे पड़े थे और उन्हें निमोनिया भी हो गया था।

 

आईएं ऊन्हें याद करते हुए उनकी कुछ रचनाओं पर नजर डाले।

 

मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो,

आसमां लाये हो ले आओ, जमीं पर रख दो !

अब कहाँ ढूंढने जाओगे, हमारे कातिल,

आप तो क़त्ल का इल्जाम, हमी पर रख दो !

उसने जिस ताक पर, कुछ टूटे दिये रखे हैं,

चाँद तारों को ले जाकर, वहीँ पर रख दो !

दो गज ही सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,

ऐ मौत तूने मुझको ज़मींदार कर दिया !

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बुलाती है मगर जाने का नहीं

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं!

मेरे बेटे, किसी से इश्क़ कर

मगर, हद से गुज़र जाने का नहीं!

ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो,

चले हो, तो ठहर जाने का नहीं!

सितारे नोच कर ले जाऊंगा

मैं, खाली हाथ घर जाने का नहीं!

वबा फैली हुई है हर तरफ

अभी, माहौल मर जाने का नहीं!

वो गर्दन नापता है नाप ले,

मगर, ज़ालिम से डर जाने का नही!

 
 

टूट गया था मैं, अब हौसला बढ़ने की दस्तक आयी है,

चलो देर से सही, किसी बहाने मेरे यहाँ रौनक तो छायी है,

तुम मुझे कौड़ियों के भाव बेच कर भागते रहे, फिर भी

मैं तुम्हें खुली बांहों से स्वीकार रहा हूं

मैं तुम्हारा गांव बोल रहा हूं ।।

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शहर में ढूंढ रहा हूँ कि सहारा दे दे|

कोई हातिम जो मेरे हाथ में कासा दे दे|

पेड़ सब नगेँ फ़क़ीरों की तरह सहमे हैं,

किस से उम्मीद ये की जाये कि साया दे दे|

तुम को "राहत" की तबीयत का नहीं अन्दाज़ा,

वो भिखारी है मगर माँगो तो दुनिया दे दे|

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उर्दू काव्य में अपनी छाप छोड़, राहत इंदौरी ने खासकर युवाओं को कवि सम्मेलनों और मुशायरों की ओर आकर्षित किया था हाल ही की उनकी कविता ‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ ने उर्दू-हिंदी काव्य को बच्चे-बच्चे के जबान पर लाकर उनमें काव्य के प्रति उत्सुकता जगाने का भी कार्य किया था 

 

राहत इंदौरी ने आज शाम ५ बजे, इंदौर के श्री अरबिंदो अस्पताल में आखरी साँस ली। वे ७० साल के थे।