शराब की दुकाने खुली और लॉकडाउन का सत्यानाश हो गया..

    04-May-2020
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हमारा देश अभी एक बहुत बडे संकट से गुजर रहा है | ऐसे संकट में जहाँ कुछ लोगों को दो वक्त का खाना नहीं मिल रहा, वहाँ किसी भी प्रकार की लक्झरी पर पैसे खर्च करने के बारे में हम सोच भी नहीं सकते | लेकिन आज की स्थिती देख कर ऐसा लगता है, शायद लोगों के पास खाने के लिये पैसा नहीं है, लेकिन शराब के लिये अवश्य है | आज जैसे ही देश में कुछ शहरों में शराब की कई दुकानों को खोलने का निर्णय लिया गया | देश की जनसंख्या के एक हिस्से का मानो स्वप्न पूर्ण हो गया | जैसे ही शराब की दुकानें खुली लोग शायद कोरोना को भूल गये | और बिना किसी चिंता के धूप में शराब की दुकानों के सामने लाईन लगा कर खडे हो गये | जैसे की सोना चाँदी बिक रहा हो | ये एक बहुत ही लज्जास्पद तस्वीर है हमारे देश की |


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देश की सरकार ने लॉकडाउन घोषित किया क्यूँ कि देश के सामने कोरोना जैसी भयंकर महामारी का खतरा था | लॉकडाउन का तीसरा चरण १७ मई को खत्म होगा | लेकिन लोग इसकी परवाह किया बिना शराब की दुकानें खुलने पर उसके सामने जा कर लाईन लगा बैठे | जिसमें किसी भी प्रकार के ‘सोशल डिस्टंसिंग’ का पालन करना तो छोडो इसका खयाल भी लोगों के मन में नहीं आया |  इन लोगों के कारण आज #LiquorShops ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है |




जब देश में २०१६ में नोटबंदी आई थी, तब विपक्ष और देश के कुछ खास विचारधारा वाले लोगों नें इस बात का बतंगड बनाया था कि एटीएम के सामने लोगों को लाईन में खडे रहना पड रहा है | बँक में लोगों को लाईन में खडे रहना पड रहा है | लोग बीमार हो रहे हैं, लोग मर रहे हैं | लेकिन आज देख कर लगता है, रोजमर्रा के खर्चे के लिये पैसे निकालते समय लोगों को शायद तकलीफ हो रही थी, लेकिन शराब लेने के लिये वे कितने भी घंटे धूप में, लाईन में खडे रह सकते हैं, और वो भी कोरोना के समय में | जिस वक्त उनकी जान को सबसे ज्यादा खतरा है | लेकिन जान से शराब ज्यादा जरूरी है, ये ही इस दृष्य से स्पष्ट होता है | इस लंबी लाईन में गरीब से गरीब व्यक्ति और पढे लिखे संपन्न लोग दोनों ही नजर आते हैं | 



सरकार ने कठिन समय में पैसे की आवक बढाने के लिये शराब की दुकानें खोलने का निर्णय लिया | लेकिन सरकारने ये नहीं कहा कि आप सैकडों की संख्या में आकर इन दुकानों के सामने लाइने लगाएँ | हमारे लिये क्या आवश्यक है, इसका निर्णय हमें ही लेना है | जान या नशा क्या चाहिये ये सरकार नहीं आप तय करेंगे | सोच लीजिये… आपको क्या करना है |