Short and Crisp: बातें

    18-May-2020   
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कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसी होती हैं जो आपको कुछ वक्त में ही बहुत कुछ कह जाती हैं |यह उन्हीं में से एक है | एक लडका एक घर में जाता है | किसी औरत से मिलने.. घर पुराना सा है जहाँ पर वो औरत अपनी भाँजी के साथ रहती है | वो उनसे किसी खास काम से मिलने जाता है | उस महिला से वह कहता है वह मिलिंद का दोस्त है | मिलिंद याने कि उस महिला का बेटा.. जिसने कुछ दिन पहले ही खुदकुशी की है !!!


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ये है कहानी की मुख्य बात | जब उस महिला को पता चलता है कि मिलिंद का दोस्त याने कि उसके गुजरे हुए बेटे का दोस्त आया है, वह उसमें अपने बेटे को खोजती है | उससे अपने प्यारे मिलू के बारे में ढेर सारी बातें करती है | उसे पुरणपोळी खिलाती है | और उसके साथ बहुत बातें करती है | शायद उसमें वो अपने बेटे को देखती है | जब वह लडका घर पर आता है, तब यह महिला वहाँ नहीं होती, उसे घर के अंदर महिला की भाँजी बिठाती है | उसके बारे में फेसबुक पर थोडा रीसर्च भी कर लेती है, जिससे उसको पता चलता है कि यह लडका तो एक शॉर्टफिल्म, डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर है | उसे लगता है वो इसी सिलसिले में आया है | बाद में पता चलता है… वह आया तो इसी सिलसिले में है.. | 

आखिरकार वह लडका उस महिला को अपने बारे में सच बता ही देता है | वह मिलिंद का दोस्त नहीं है.. ना ही वह शॉर्टफिल्म के किसी काम से आया है | वह आया तो माफी मांगने था, और उस महिला को कुछ देने के लिये भी | लेकिन वह उस महिला को क्या देता है ? वह माफी क्यूँ मांगता है ? और मिलिंद ने आत्महत्या क्यूँ की है ? ये जानने के लिये आपको यह शॉर्टफिल्म देखनी पडेगी | 



आज भी हमारे यहाँ डिप्रेशन को सीरीयसली नहीं लिया जाता | एक Phase है, निकल जाएगा यह कह कर अनदेखा कर दिया जाता है | आज भी पेरेंट्स अपने बच्चों के डिप्रेशन के सिमटम्स देख नहीं पाते | और कई बाप कम उम्र के बच्चे अपनी जिंदगी खत्म करने तक का भी निर्णय ले लेते हैं | इसके बाद उन माता पिता के जीवन में क्या बचता है ? खोखलापन, अकेलापन और गिल्ट… अपने बच्चे को ना समझ पाने का गिल्ट, उसकी मदद ना कर पाने का गिल्ट और उसको खो देने का गिल्ट | इस शॉर्टफिल्म में एक डायलॉग है.. “हम पेरेंट्स जितनी फिकर बच्चों के लंच और डिनर के टाईम की करते हैं, उतनी ही उनके दिल की बात जानने के लिये क्यों नहीं करते..” बस ऐसी ही गिल्ट की कहानी बयाँ करने वाली शॉर्टफिल्म है यह | जिंदगी एक अनमोल तौहफा है.. आपसे ज्यादा आपके माता पिता के लिये | उनका खयाल कर के ही हमेशा हर परिस्थिती का सामना डँट कर करना चाहिये | शायद मिलू वह कर लेता तो उसकी माँ तो उस तकलीफ से ना गुजरना पडता | 

इस शॉर्टफिल्म में मुख्य भूमिकाएँ निभाई हैं सुप्रिया पिळगांवकर, संकल्प जोशी और शिवानी रघुवंशी ने | Madmidaas Films के यूट्यूब चॅनल पर इस शॉर्टफिल्म को 3.4M व्ह्यूज हैं | एक बार तो यह शॉर्टफिल्म जरूर देखें |

- निहारिका पोल सर्वटे