हर मर्द जोरू का गुलाम नहीं होता…! #InternationalMensDay Special

    19-Nov-2020
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अक्सर ऐसा देखा गया है कि कोई मर्द अपनी पत्नी का साथ दे, उसके सपनों को पूरा करने में मदद करे, उसकी भावनाओं के प्रति संवेदनशील रहे, तो उसे तुरंत ही जोरू का गुलाम समझ लिया जाता है | उस पर ‘जोरू का गुलाम’ यह टॅग फिट कर दिया जाता है | उसे कई बार ‘अबे ये तो शादी के बाद बदल गया |’ ये सुनने को मिलता है | लेकिन आज #InternationalMensDay पर हम आको खास यह बताना चाहते हैं कि, हर मर्द जोरू का गुलाम नहीं होता |


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अगर वो अपनी पत्नी के साथ हो रहे गलत व्यवहार के लिये परिवार से भी लड रहा है, तो वह सही है, जोरू का गुलाम नहीं | अगर वह अपनी पत्नी के करिअर में सपोर्ट कर रहा है, तो वह सही है, जोरू का गुलाम नहीं | अगर वह उसके सपनों को पूरा करने के लिये प्रयास कर रहा है, तो वह जोरू का गुलाम नहीं है | अगर वह अपनी पत्नी से प्रेम करता है, और सभी के सामने उसका इजहार करता है, तो वह जोरू का गुलाम नहीं है | अगर वह अपनी पत्नी की घर के कामों में मदद कर दे तो वह एक अच्छा पति है, जोरू का गुलाम नहीं | अगर वह अपनी पत्नी का खयाल रख रहा है, और उसे प्रधानता दे रहा है, तो वह बस अपना कर्तव्य निभा रहा है, प्रेम निभा रहा है, वह जोरू का गुलाम नहीं है | 

अक्सर शादी के बाद कहा जाता है कि केवल लडकियों की दुनिया बदलती है | जो सत्य है भी, लेकिन लडकों की दुनिया भी उतनी ही बदलती है | हाँ उन्हें ससुराल जाकर रहना नहीं पडता, लेकिन अपनी पत्नी को उसके ससुराल में मायके का प्यार देने के लिये कुछ हटके करना पडता है | हाँ उन्हें बहू की तरह नहीं रहना पडता, पर उस बहु को बेटी का दर्जा देने के लिये लडना पडता है कई बार | मर्दों के लिये भी शादी उतनी ही चॅलेंजिंग हो जाती है, जितनी की औरतों के लिये, लेकिन हम अक्सर सॉफ्ट कॉर्नर औरतों को देते हैं, और मर्दों को भूल जाते हैं | 


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कई बार वो भी अपने लिये यह टॅग सुनकर थक जाते होंगे, कई बार इस वजह से वे अपनी पत्नी के सामने अपनी भावनाएँ बताने से कतराते हैं, कई बार वे अपने आप को अपनी पत्नी और परिवार के बीच फँसा सा महसूस कर सकते हैं | लेकिन फिर भी वे जोरू के गुलाम नहीं होते, वे बस दूसरे घर से आई लडकी को अपने घर की फीलिंग देने का प्रयत्न कर रहे होते हैं |

तो अब इससे पहले कि आप किसी को ‘जोरू का गुलाम’ कहें, समझने की कोशिश कीजिये कि इसके पीछे की उस मर्द की क्या भावनाएं हैं | क्यों कि भावनाओं पर एकाधिकार केवल महिलाओं का ही नहीं पर मर्दों का भी है | इसलिये याद रखिये, हर मर्द ‘जोरू का गुलाम नहीं होता’ |


Happy International Men's Day :)