क्या है ये ‘फेलूदा’ टेकनीक ? और कोविड में कैसे करेगी ये मदद ?

    07-Oct-2020
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आपने फॅंटास्टिक फेलूदा का नाम सुना है ? या प्रसिद्ध लेखक सत्यजीत रे की जासूसी किताबों की सीरीज ‘फेलूदा’ पढी है ? यदि हाँ तो आप शीर्षक पढ कर ही समझ गए होंगे कि यहाँ किस ‘फेलूदा’ की बात हो रही है ? और यदि नहीं तो बता दें, कि सत्यजीत रे द्वारा लिखित किताब ‘फँटास्टिक फेलूदा’ का प्रमुख किरदार डिटेक्टिव्ह फेलूदा है | लेकिन उसका जिक्र कोविड के संबंध में क्यों तो बता दें कि, कोविड की टेस्ट के परिणाम जल्दी नहीं आते, इन्हें आने में दो से तीन दिन लग जाते हैं, इस समस्या को सुलझाने के लिये दो भारतीय वैज्ञानिक देबज्योति चक्रबर्ती और सौविक मैती द्वारा विकसित ‘फेलूदा’ टेकनीक से इस समस्या को सुलझाया जा सकता है |


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इन दोनों भारतीय वैज्ञानिकों ने पेपर बेस्ड डॉग्नॉस्टिक टेस्ट का निर्माण किया है, जिससे एक घंटे के अंदर कोविड की टेस्ट के परिणाम आ जाएँगे, और पता चल सकेगा कि व्यक्ति कोविड पॉजिटिव्ह है या नहीं | फेलूदा की चतुराई और काम करने की गति के कारण उन्होंने इस टेकनीक का नाम रखा है, “फेलूदा” |


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(देबज्योति चक्रबर्ती और सौविक मैती)


एक घंटे के अंदर कोविड टेस्ट के परिणाम घोषित :

भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, विजय राघवन ने बताया कि, “यह एक सरल, सटीक, मापनीय, विश्वसनीय और मितव्ययी परीक्षण है |” इस पेपर टेस्ट किट को इंस्टिट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटिग्रेटिव्ह बायोलॉजी (IGIB) के दो वैज्ञानिक देबज्योति चक्रबर्ती और सौविक मैती ने बनाया है | उनका कहना है कि एक घंटे के अंदर कोविड टेस्ट के परिणाम इससे घोषित किये जा सकते हैं |

इस टेस्ट किट में पेपर के दो बँड होंगे एक का रंग बदला तो समझ आएगा कि बँड ठीक से लगा है, और यदि दूसरे का रंग बदला तो समझ आएगा कि मरीज कोरोना पॉजिटिव्ह है, यदि दूसरे बँड का रंग नहीं बदला तो व्यक्ति को कोरोना नेगेटिव्ह मान लिया जाएगा | फेलूदा परीक्षण अभी तक लगभग २००० मरीजों पर किया जा चुका है | इसे बनाने में ५०० रुपये की लागत आएगी |

भारत की जनसंख्या को मद्देनजर रखते हुए, यह एक सस्ता और त्वरित उपाय है | इस विषय में सोचा जा सकता है |