काश आज ‘लाल बहादुर शास्त्री’ जी होते !!!

    02-Oct-2020
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आज देश के दो प्रमुख नेताओं की जन्मतिथी है, एक के बारे में तो हमेशा ही सभी बात करते हैं, २ अक्टूबर बोलने पर हमारी आँखों के सामने आते हैं, महात्मा गांधी, लेकिन आज ही के दिन स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री ‘लाल बहादुर शास्त्री’ जी का भी जन्म हुआ था, और हम में से कई लोग उन्हें भूल जाते हैं | तो आज के दिन पर खास याद करते हैं, लाल बहादुर शास्त्री जी को, काश कि आज ‘शास्त्री जी’ होते, उनके सपनों का भारत देखने के लिये |


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आज यदि लाल बहादुर शास्त्री होते, तो प्रफुल्लित होते यह देख कर कि भारत आत्मनिर्भर बनने जा रहा है | वे कहते थे, “देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल सैनिकों की नहीं हैं, बल्कि इसके लिये पूरे देश को संगठित होकर काम करना चाहिये |” आज देश का हर बच्चा जब देश के हित के लिये सोचता हुआ नजर आता है, तो शास्त्री जी की याद अवश्य आती है | आज विद्यार्थी नये नये इनोव्हेशन्स कर रहे हैं, युवा स्टार्टअप्स खोल रहे हैं, देश की आर्थिक सहाय्यता में ये युवा अपना हाथ बँटा रहे है, ये देख कर शास्त्री जी को इस युवा भारत पर गर्व होता |

सभी जानते है कि शास्त्री जी बहुत की कर्मठ थे, और ईमानदार भी | देश की जनता और जनता द्वारा की गई मेहनत के प्रति उनका मन बहुत ही संवेदनशील था | उनका एक वाकया याद है, शास्त्री जी को खादी से बहुत प्रेम था, एक बार उनकी अल्मारी की सफाई हुई, उसमें से दो फटे कुर्ते निकले, उन्होंने उसे सहेज कर रखा और कहा, “ये कुर्ते खादी के हैं, इसे बुनने में कारीगरों की बहुत मेहनत लगी है, इसका एक एक सूत काम आना चाहिये |” आज देश की सरकार बुनकर और करीगरों के लिये मदत कर रही है, खादी ग्रामोद्योग के माध्यम से इन कारीगरों को रोजगार मिल रहा है, ये देख कर आज शास्त्री जी को अवश्य आनंद होता |

शास्त्री जी की मृत्यु बहुत ही रहस्यमयी तरीके से हुई, प्रसिद्धा ताश्कंद सौदे के बारे में सभी को पता है, ऐसा कहा जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री जी को मार दिया गया था, उनका पोस्टमार्टम भी नहीं हुआ था | तत्कालीन सरकार ने इस विषय में क्यों कुछ नहीं किया, उनके मृत्यु का रहस्य आज तक क्यों नहीं सुलझा ये सभी चर्चा और चिंता दोनों के विषय है, लेकिन आज देश में किसानों की प्रगति को देखते हुए ‘जय जवान - जय किसान’ का नारा लगाने वाले शास्त्री जी बहुत याद आते हैं, सब सर्जिकल स्ट्राइक होती है, तो जवानों के प्रति संवेदनशील मन रखने वाले शास्त्री जी बहुत याद आते हैं, जब भारत आत्मनिर्भर बनता नजर आता है, तो शास्त्री जी बहुत याद आते हैं |

 

शास्त्री जी आज होते तो इस नये भारत को देखकर प्रफुल्लित और आनंदित होते, इसमें कोई दोराय नहीं | आज के दिन लाल बहादुर शास्त्री जी को शत् शत् नमन |

 
 
- टीम फिकरनॉट