इनके मन में भरा जाने वाला ‘जहर’

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दिल्ली में अक्सर सोसायटीज में घरों में काम करने वाली महिलायें मुस्लिम समुदाय से आती हैं | मेरी सोसायटी में भी ऐसी कयी महिलायें हैं | आज सोसायटी में नागरिकता संशोधन विधेयक पर बात चल रही थी | कयी महिलायें मुझसे इस विषय में पूछ रहीं थीं और मैं मेरी जानकारी के अनुसार उन्हें समझाने की कोशिश कर रही थी | माशुदा नाम की एक महिला जिन्हें सब बेबी कह कर बुलाते हैं और जो सोसायटी के कयी घरों में काम करती हैं, सीढी पर बैठ कर सुन रही थीं, सभी महिलाएँ पंजाबी होने के कारण हमारा संवाद हिंदी में चल रहा था | बेबी आई और बोलने लगीं...

 

"दीदी आपका बात शुन के हमको बहुत हल्का लगा | हमको कितना डराया दीदी ये लोग शब | बोलता है मोदी छोटा छोटा रूम बनाया है, बच्चे को अलग रखेगा हसबेंड को अलग और हमको अलग.. और बोला कि खाना भी नहीं देगा..| दीदी हमारी बस्ती में लोग बोल रहा है कि अपने अपने गाँव चले जाओ दिल्ली में रहेगा तो मार देंगे.. ट्रेन से जाएगा तो ट्रेन भी जला देगा.. दीदी मैं पैसा जोड के जमीन खरीद किया... मैं रोया कल हसबेंड को बोला कित्ता नुकसान होगा हमारा.. दीदी ऐसा नहीं होगा ना? हम कुछ नहीं किया है.. हम काम करता ईमानदारी का पैसा कमाता.. हमारा पापा मम्मी सब भारत का ही है.. हमारे पास आधार कार्ड भी है..|"

मैंने उन्हें भी समझाने की कोशिश की की कोई भी आपको अपने घर से नहीं निकालने वाला, कोई भी आपसे किसी भी प्रकार के कागजात नहीं मांगने वाला.. यदि आप देश विरोधी कार्य में सहभागी नहीं हैं, तो आपको डरने की जरूरत नहीं है |

बेबी भारतीय हैं.. बंगाल में कन्व्हर्ट किये गये मुस्लिम परिवारों में से एक उनका परिवार है और पिछले ८ वर्षों से वो दिल्ली में रह रही हैं |

 

लेकिन आज बेबी के कारण एक बात समझ आयी है कि, ग्रासरूट लेव्हल पर इन जैसे लोगों की अशिक्षा का फायदा उठा कर ऐसे लोगों के मन में जान बूझ कर जहर घोला जा रहा है | वामपंथी अपने अजेंडा को पूरा करने के लिये इनका उपयोग कर रहे हैं | इसका इससे बडा उदाहरण और क्या हो सकता है? ये भयंकर है, भीषण है, जो विरोध कर रहे हैं, शायद उन्हें पता भी नहीं है वे किस बात का विरोध कर रहे हैं ? और उसका कारण है… ये जहर

- निहारिका पोल सर्वटे.