जानलेवा दिल्ली..


 

पिछले कयी दिनों से, खासकर दिवाली के बाद से हम खबरों में दिल्ली की हालत देख रहे हैं | स्मॉग के कारण दिल्ली पर मानो जैसे किसी जहरीली गॅस का साया मंडरा रहा है | दिल्ली की हवा में प्रदूषण का उच्चांक अब १२०० के पार पँहुच चुका है | लोग मास्क लगा कर घूम रहे हैं | और हर तरफ प्रदूषण युक्त एक धुंध कोहरा जिसे स्मॉग (स्मोक + फॉग) कहा जाता है दिखाई पड रही है | और हम क्या कर रहे हैं? 

हम अभी भी सरकार को गालियाँ दे रहे हैं | हम अभी भी भरपूर मात्रा में प्रदूषण फैलाने में मदद कर रहे हैं | दिल्ली के आस पास के गाँवों के किसान अभी भी अपनी फसल का भूसा जला कर इस प्रदूषण में वृद्धि कर रहे हैं | हम हमेशा दूसरों को गलत कह रहे हैं और इस प्रदूषण के लिये हम कुछ भी नहीं कर रहें | सुन कर दुख जरूर होगा पर यही सत्य है | 

आज हम में से कितने घरों में प्लास्टिक का उपयोग पूर्णत: बंद हुआ है? मैं मानती हूँ यह संभव नहीं है, लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक जैसे पॉलिथिन्स, स्ट्रॉ, कटलरी आदी का उपयोग तो हम अवश्य ही बंद कर सकते हैं? हम में से कितने हैं जो खाना ऑर्डर करते वक्त कहते हैं हमें प्लास्टिक कटलरी नहीं चाहिये? हम में से कितने हैं जो नारियल पानी ते साथ स्ट्रॉ नहीं लेते या अपना पेपर या स्टील स्ट्रॉ कॅरी करते हैं? हम में से कितने लोग पेड पौधे खरीदने में पैसे लगाते हैं? और घरों को महंगे सामानों से नहीं तो पौधों से सजाते हैं? हम में से कितने ही लोगों के घर में ४ लोग और ४ गाडियाँ (बडी हो छोटी) उपयोग नहीं करते वरन मिल बाँट कर गाडियों का इस्तेमाल करते हैं? इन सारे प्रश्नों का उत्तर हम जानते हैं | लेकिन क्या हम उतने सजग हैं कि हम किस ओर जा रहे हैं? 
 
 

 
दिल्ली पर प्रदूषण का साया है, तो मुंबई में आयो दिन बारिश या अत्यधिक जनसंख्या के कारण नयी मुसीबतें, पुणे की बारिश नवंबर हो गया लेकिन जाने का नाम नहीं ले रही | मध्यप्रदेश में भी जब धूप निकलनी चाहिये तब बारिश हो रही है, जब ठंड पडनी चाहिये तो पंखे चल रहे हैं | वातावरण और मौसम का चक्र पूर्णत: बदल चुका है | और इसका सबसे बडा खामियाजा कोई भुगत रहा है तो वे हैं हम और हमारी आने वाली पिढी | 
 
 
 

क्या कर सकते हैं हम इसे कम करने के लिये?

१. शुरुआत अपने घर से हो : दूसरों को नाम रखने के बजाय अपने घर से शुरु करें | कचरे का सेग्रिगेशन, प्लास्टिक के उपयोग पर बंदी, पेड पौधों पर पैसे खर्च करना इत्यादी अपने घर से ही प्रारंभ करना होगा |

२. सरकार की मदत करें : स्वच्छ भारत अभियान सरकार ने व्यक्तिगत फायदे के लिये नहीं तो देश को साफ करने के लिये चलाया है, इसमें यदी किसी का भला है तो हमारा है | अपने और अपने आसपास की जगह हम साफ रखें तो हमें ही एक निरोगी जीवन मिलेगा |


३. व्यक्तिगत वाहनों का केवल जरूरत हो तभी उपयोग : जब तक बहुत जरूरत नहीं है तब तक व्यक्तिगत वाहनों का उपयोग ना करें, इससे वायु प्रदूषण में कमीं करने में हम मदत कर सकते हैं | एक घर में एक या दो गाडियाँ ही हो तो भी काम चलता है | मिल बाँट कर रह के देखिये तो सही एक बार |

४. लोगों को जागरुक करें : अपने साथ साथ लोगों को भी जागरुक करें | कोई गंदगी फैला रहा हो तो उसे तुरंत रोकें | अपने ब्लॉग्स के माध्यम से, सोशल मीडिया के माध्यम से लगातार जागरुकता फैलाते रहिये कहीं ना कहीं ये काम जरूर आयेगी |

इसके साथ अनेक उपाय करने होंगे लेकिन सबसे पहली शुरुआत खुद से करनी होगी | दम घुट के मरने से कचरा साफ करना बेहतर लगने लगे तब समझो अंत नजदीक है |



दिल्ली के लोगों इस भारी प्रदूषण से बचने के लिये :

१. अधिकाधिक पानी पियें | जरूरत से ज्यादा ही पियें ताकि शरीर से सारे प्रदूषण युक्त तत्व बाहर निकल जाएँ |

२. विटामिन सी युक्त पदार्थ, फल जैसे संतरे, मोसंबी, आँवला आदी का अधिक सेवन करें |

३. घर के भीतर रह कर व्यायाम करें, बाहर व्यायाम शुद्ध हवा प्राप्त करने के लिये किया जाता है, जब हवा ही शुद्ध ना हो तो ऐसे व्यायाम का क्या अर्थ |

४. कुछ दिन तक बाहर के खाने से परहेज करें | घर का बना पौष्टिक खाना खाएँ और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बनाएँ रखें |


दोस्तों अपना खयाल रखें और अपने आस पास के परिसर का | जब तक हम मिलकर इसके लिये कार्य नहीं करते यह समस्या दिन प्रतिदिन बढती जाएगी | और यदी ऐसा ही रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी अपने अंत के करीब होगी | हमें यदी परिस्थिती बदलती है तो हमें ही कुछ करना होगा |

- निहारिका पोल सर्वटे