इसे कहते हैं क्रियेटिव्ह फिटनेस : १९ साल की रुजुता ने दिये मेजर फिटनेस गोल्स


 

 



आज की भाग दौड की जिंदगी में यदी हम कुछ नजरअंदाज कर रहे हैं, तो वह है हमारी सेहत. फिटनेस के लिये हम जिम की साल भर की मेंबरशिप तो भरकर रखते हैं, लेकिन जाते कितने दिन हैं पता नहीं | आज तय तो कर लेते हैं कि बस अबसे शक्कर खाना बंद, लेकिन अगले दिन ही सुबह की कॉफी फीकी देखकर मूड खराब हो जाता है, और हम वापस वह २ चम्मच शक्कर कॉफी में डाल ही लेते हैं | तो ऐसी परिस्थिती में एक १९ साल की फिजिओथेरेपिस्ट मेजर फिटनेस गोल्स दे रही है, और लोगों को क्रिएटिव्हीटी के साथ फिटनेस से जोड रही है | और हम सभी को रुजुता भावे से इन्स्पिरेशन लेकर फिटनेस के बारे में फिर से सोचना चाहिये | 

पुणे के वुडलँड सोसायटी में रहने वाली १९ वर्षीय रुजुता | वैसे तो वह है फिजिओथेरेपिस्ट, लेकिन वुडलँड के लोगों को वह उनमें फिटनेस के लिये प्रेम जगाने वाली रुजुता के रूप में ही पता है | पिछले दिनों गणपती के समय वुडलँड सोसायटी में एक खास कार्यक्रम का आयोजन किया गया | जो केवल और केवल एक्सरसाईझ पर आधारित था, लेकिन उसमें थीम थी, स्टोरी थी और ४ साल से ८७ साल तक के बच्चों और सीनीअर सिटिझन्स का इसमें सहभाग था | 

 

तो कहानी शुरु होती है, जब रुजुता छोटी थी तबसे | बचपन में वह बहुत ही दुबली पतली थी, और इस बात से बहुत लोग उसे चिढाते भी थे | कॉलेज में आने के बाद उसे फिटनेस का महत्व अधिक समझ आया और उसने ठान लिया की जरूरी नहीं है फिट रहने के लिये जिम ही जाया जाय | रोज की बिझी लाईफ में भी थोडी देर योगा करके, झुंबा करके या डांस करके भी फिट रहा जा सकता है | पहले उसने खुद फिट रहने का प्रसास किया और बाद में उसने यही विचार अपने बिल्डिंग के लोगों तक पँहुचाने की ठानी | गणपती का समय था, महाराष्ट्र में, खास कर पुणे में गणपती की धूम रहती है, ऐसे समय अनेक सोसायटीज में, पंडालों में गणपती विराजमान होते हैं, वुडलॅंड भी इन्हीं में से एक है | गणेश उत्सव का औचित्य देख कर फिटनेस थीम को लेकर एक घंटे का एक कार्यक्रम किया जाय ऐसा विचार रुजुता के मन में आया |

 

और सिलसिला शुरु हुआ ‘हेल्थ : टाईम टू एक्ट’ इस कार्यक्रम के निर्माण का | इस कार्यक्रम में वुडलँड सोसायटी के १४२ निवासियों ने सहभाग लिया | जिसमें ४ वर्ष के बच्चे से लेकर ८७ वर्ष के बुजुर्गों का भी समावेश था | इस कार्यक्रम में कुल १४ प्रकार के आसनों एक्झरसाईझ का समावेश किया गया था | सबसे खास बात यह रही कि बच्चों के फुलबॉल, सायकलिंग, हूलाहूप से लेकर ६५ साल के बुजुर्गों नें किया झुंबा सबके लिये यादगार रहा | बच्चों के लिये एरोबिक्स, महिलाओं का योगा, ३२-४६ साल की महिलाओं का झुंबा, बच्चियों का बॉलिवुड डान्स, कपल का सालसा, कथक और भरतनाट्यम, ३४-५० साल के पुरुषों का एरोबिक्स, १०-१४ वर्षे तक के बच्चों का व्हेव बोर्डिंग, ३८-५५ आयुवर्ग की महिलाओं का लेझिम, ९-२४ वर्ष तक के बच्चों का जिमनॅस्टिक्स आदी का समावेश था | यह केवल प्रेझेंटेशन नहीं था, इसके पीछे थी एक खास थीम | 




रुजुता भावे 


एक बच्चा जो बचपन से थोडा मोटा है, उसके दोस्त उसे मॅरेथॉन में लेकर जाते हैं, उसे भी मॅरेथॉन दौडने की इच्छा होती है, और जब वह जाता है, तब उसे समझ आता है कि वह अपने वजन के कारण मॅरेथॉन दौड नहीं सकता | उस वक्त उसे समझ आता है, कि अब उसे अपने फिटनेस की ओर ध्यान देना चाहिये | वह यूट्यूब पर व्हिडियोज देखने लगता है | ये जो यूट्यूब के व्हिडियोज हैं, वही १४ एक्सपसाईझ के माध्यम से स्टेज पे दिखाए गये हैं | ये अपने आप में एक यूनिक कल्पना थी | जिसे उतने ही दमदार तरीके से प्रस्तुत किया गया |
 

 
 

इस कार्यक्रम का व्हिडियो फिट इंडिया मूव्हमेंट के लिये भी भेजा गया है | इतने सारे लोगों को, अलग अलग एजग्रुप के लोगों को एकसाथ लाकर, उनको तयार करना, उनकी प्रॅक्टिस लेना, उन्हें सिखाना यह सब किया रुजुता नें | यह अपने आप में एक बहुत बडी बात है | जब उससे पूछा की ऐसा क्यूँ ? तो उसने कहा “मुझे नहीं पता था लोग केवल योगा या एक्सरसाईज देखने १ घंटे का समय देंगे या नहीं? तो मैं फिटनेस का संदेश देने के लिये कुछ ऐसा करना चाहती थी, जो क्रियेटिव्ह हो, जिसे करने में लोगों को और देखने में दर्शकों को मजा आए | मैंने इस संबंध में गायडेंस भी लिया और जितने ज्यादा से ज्यादा एक्सरसाईझ फॉर्म्स हम दिखा सकते थे हमने दिखाए | इसमें कहीं भी फॅट शेमिंग ना हो इसलिये दो बार थीम को स्टोरी को भी बदला गया | पूरी तरह से ध्यान रखा गया कि स्टोरी का मेन मोटीव्ह फिटनेस के लिये लोगों को जागरुक करना हो | 

कार्यक्रम के बाद इस पूरी टीम ने हेल्दी श्रम परिहार भी किया, सब सायकिल से पास की ही ‘टेकडी’ अर्थात पठार पर गये, नीचे आकर सबने हेल्दी भेल और नाचणी बिस्किट्स का लुत्फ उठाया | रुजुता की लीडरशिप में १४२ लोगों की एक बढियाँ टीम तैयार हुई है, जो देश को फिट करने के लिये काम कर रही है |

कार्यक्रम तो सक्सेसफुल हुआ | रुजुता के कॉलेज अर्थात ब्रिजलाल जिंदल कॉलेज ऑफ फिजिओथेरेपी की प्रिंसिपल भी इस कार्यक्रम में आईं थीं और उन्होंने यह कार्यक्रम कॉलेज में आयोजित करने का निर्णय लिया है | यह इतना अलग और सुंदर कार्यक्रम है कि अधिकाधिक लोगों तक पँहुचना आवश्यक है, और रुजुता जैसे लोग जो फिटनेस के प्रति जागरुकता जगाने का कार्य कर रहें हैं उनका कार्य बडे पैमाने पर जाना आवश्यक है, तो आप भी बोलेंगे ना… इसे कहते हैं ‘क्रिएटिव्ह फिटनेस’?
 
 - निहारिका पोळ सर्वटे